जुबिली न्यूज डेस्क
जयपुर। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) अब एक बड़े घोटाले की वजह से चर्चा में है। डॉक्टरों और निजी दवा दुकानदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले का खुलासा किसी इंसानी जांच नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तकनीक से हुआ।
AI ने खोले फर्जीवाड़े के राज
AI टेक्नोलॉजी के जरिए डॉक्टरों की पर्चियों का विश्लेषण किया गया, जिससे यह सामने आया कि कई मरीजों को बिना जरूरत के एक जैसी महंगी दवाएं दी गईं। पाली, भीलवाड़ा और मंडावर जैसे जिलों में ऐसे कई केस सामने आए, जहां महंगी कैंसर और किडनी की दवाएं मनमाने तरीके से लिखी गईं।
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जयपुर के एक सरकारी डॉक्टर ने पुरुष मरीज को ब्रेस्ट कैंसर की दवा लिखी और दवा दुकानदार से उसका भुगतान ले लिया।
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एक ही CT स्कैन रिपोर्ट से 34 मरीजों का इलाज दिखाया गया।
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एक ही परिवार को लाखों रुपये की फ्री दवाएं दे दी गईं।
डॉक्टरों और दवा दुकानों का खेल
श्रीगंगानगर के डॉक्टर केसर सिंह ने अपने ही परिवार के नाम पर करीब 38 लाख रुपये की दवाएं खुद ही लिख दीं। जांच में यह भी पाया गया कि 2021-22 में जहां दवाओं पर 289.89 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, वहीं 2024-25 में यह खर्च 2566.64 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यानी महज तीन साल में करीब 2276.75 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
क्या है RGHS योजना?
राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) के तहत सरकारी कर्मचारी डॉक्टर से परामर्श के बाद अधिकृत निजी मेडिकल स्टोर से मुफ्त दवाएं ले सकते हैं।
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दवाओं का भुगतान कर्मचारी नहीं करता, बल्कि दुकानदार सरकार को बिल भेजता है।
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इसके बाद सरकार के वित्त विभाग द्वारा भुगतान किया जाता है।
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फ्री दवा योजना बन रही है बोझ?
राजस्थान में जनता के लिए चल रही फ्री दवा योजना पर सालाना 1100 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, जबकि 60 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए डॉक्टरों द्वारा 2000 करोड़ रुपये की दवाएं लिखी जा रही हैं। यानी, तय बजट से दोगुना खर्च किया जा रहा है – वो भी फर्जी इलाज के नाम पर।