न्यूज डेस्क
देश ही नहीं पूरी दुनिया में ब्रॉन्डिंग के लिए बेताब और इंवेंट मैनेजमेंट के बेताज बादशाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बादशाहत की चमक धुंधली पडती जा रही है। अरबों रुपए खर्च कर हाउडी मोदी जैसे कार्यक्रम कराकर चमक-दमक की शिखर पर पहुंचे नरेंद्र मोदी का जलवा अब ढलान पर है। ब्रांड मोदी अपनी चमक धीरे-धीरे खोता जा रहा है। क्योंकि उसके ऊपर लगातार भगवा व हिंदू राष्ट्रवाद की धूल जमा होती जा रही है।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी हो रहा है। दावोस में हो रही वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में अरबपति जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन पर ‘हिंदू राष्ट्रवादी देश’ बनाने का आरोप लगाया।
जॉर्ज सोरोस ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध झेल रही है। सोरोस ने कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी ने ‘एक मुस्लिम बहुल अर्ध-स्वायत्त कश्मीर पर दंडात्मक उपाय किए, और लाखों मुसलमानों को उनकी नागरिकता से वंचित करने की धमकी दे रहे हैं।’
विदेशों में अपनी बढ़ती पहचान को लेकर गदगद नरेंद्र मोदी का आलोचना करने वालों की लिस्ट में जॉर्ज सोरोस के अलावा कई बड़े नाम हैं। मशहूर मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने अपने नए कवर पेज के साथ नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण को लेकर भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर मोदी सरकार पर हमला बोला है।
मैगजीन के कवर पेज पर कंटीली तारों के बीच भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘कमल का फूल’ नजर आ रहा है। इसके ऊपर लिखा है, ‘असहिष्णु भारत- कैसे मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को जोखिम में डाल रहे हैं।’ इतनी ही नहीं ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने कवर पेज को ट्वीट करते हुए कहा, ‘कैसे भारत के प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं।’
मैग्जीन ने अपनी कवर स्टोरी ‘Narendra Modi stokes division in the world’s biggest democracy’ में संशोधित नागरिकता कानून समेत कई अन्य मुद्दों पर केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश में अलगाव पैदा करने का आरोप लगाया गया है।
आर्टिकल में लिखा है कि भारत के 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के निर्माण में जुटे हैं। 80 के दशक में राम मंदिर के लिए आंदोलन के साथ बीजेपी की शुरूआत पर चर्चा करते हुए लेख में तर्क दिया गया है कि संभावित तौर पर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को धर्म और राष्ट्रीय पहचान के आधार पर कथित विभाजन से फायदा पहुंचा है।
मैगजीन ने लिखा है कि इस तरह के मुद्दों को आगे कर अन्य मुद्दों जैसे- अर्थव्यवस्था आदि पर जनता को भटकाया जा रहा है। बीजेपी की जीत के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है। द इकोनॉमिस्ट का कहना है कि सरकार के कदम से हिंसा भी भड़क सकती है लेकिन धर्म और राष्ट्रीय पहचान के आधार पर अलगाव पैदा करने से भाजपा सरकार को फायदा मिल सकता है।
दरअसल इसका असर ये होगा कि इससे बीजेपी के कार्यकर्ताओं और सहयोगी पार्टियों को ऊर्जा मिलती रहेगी और वह देश के लोगों का अन्य मुद्दों जैसे अर्थव्यवस्था आदि से ध्यान भी हटा सकेंगे।
NRC के मुद्दे पर लेख में लिखा है कि अवैध शरणार्थियों की पहचान करते हुए असल भारतीयों के लिए रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया से 130 करोड़ भारतीय भी प्रभावित होंगे। ये कई साल तक चलेगा। लिस्ट तैयार होने के बाद इसको चुनौती और फिर से दुरुस्त करने का भी सिलसिला चलेगा।
गौरतलब है कि इकोनॉमिस्ट मैग्जीन के ताजा अंक में छपी स्टोरी से पहले प्रतिष्ठित टाइम मैग्जीन में भी बीते साल पीएम मोदी की आलोचना करते हुए एक आर्टिकल लिखा गया था। इस आर्टिकल को आतिश तासीर ने लिखा था और पीएम मोदी को ‘इंडियाज डिवाइडर इन चीफ’ बताया था। इस आर्टिकल में भी पीएम मोदी की नीतियों की आलोचना की थी।