जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ। 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के पांचवें दिन साहित्यप्रेमियों की भीड़ रही। मोती महल लॉन में चल रहे पुस्तक मेले में साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित हुए। मेले में कला-संस्कृति, साहि़त्य, राजनीति, पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा बच्चो व महिलाओं की भी सैकड़ों पुस्तकें हैं।
इसके अलावा अध्यात्म, धर्म, दर्शन और योग पर आधारित पुस्तकों की खूब मांग है। मेले में रामकृष्ण मठ के स्टॉल पर व्यक्तित्व विकास, अध्यात्म, शिक्षा, भारतीय नारी, श्रीमदभगवत, श्रीमदभागवतम्, योग-दर्शन, संपूर्ण विवेकानंद साहित्य के अलावा दर्शन की किताबें हैं। वैदिक साहित्य के स्टॉल पर वेद, शास्त्र, उपनिषद, दर्शन, योग-दर्शन, एक दिशा उपनिषद, वाल्मीकि रामायण, विशुद्ध उपनिषद, मनुस्मृति व गीता उपलब्ध हैं। मेले में बहुजन समाज के प्रतिनिधि स्टॉल पर बहुजन बोधि साहित्य, बहुजन साहित्य, भारत का संविधान, बाबा साहब वांग्मय, बुद्ध, बहुउपदेश, रविदास, लाइफ एंड मिशन सहित ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई की लिखी बौद्ध साहित्य-दर्शन पर केंद्रित कई किताबें हैं।
शांतिकुंज हरिद्वार गायत्री परिवार के बुक स्टॉल पर वैदिक साहित्य की अनेक किताबें, अखंड ज्योति पत्रिका, वेद, योग, साधना, पुराण, उपनिषद के अलावा पितृपक्ष पर केंद्रित कई पुस्तकें मौजूद हैं। जिसमें पितर हमारे अदृश्य सहायक, स्वर्ग नरक की स्वसंचालित प्रक्रिया, मरणोत्तर जीवन-उसकी सच्चाई, पितरों को श्राद्ध दें शक्ति देंगे, जीवन और मृत्यु सहित अनेक पुस्तकें, शुद्ध हवन सामग्री, धूप और औषधियां मौजूद हैं। अहमदिया मुस्लिम कम्युनिटी के शाह हरुन सैफी ने बताया कि हमारे स्टॉल पर मौजूदा संदर्भों पर आधारित उर्दू, हिन्दी और इंग्लिश की किताबें हैं। जिनमें वूमेन इन इस्लाम, मजहब के नाम पर खून, विश्व संकट तथा शांतिपथ, इस्लाम एंड ह्यूमन राइट, इस्लाम और वर्तमान काल की समस्याओं का समाधान, पवित्र कुरान 76 भाषाओं में है।
द गिडौन्स इंटरनेशनल संस्थान के स्टॉल पर भी ईसाई धर्म पर आधारित साहित्य है। जहां बाइबिल कई साइज में पाठकों को निशुल्क वितरित की जा रहीं हैं। वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर नाथपंथ पर नई किताबों की श्रंखला है। जिसमें डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी और प्रो रविशंकर सिंह की लिखी नवनाथ, नाथ संप्रदाय दर्शन कथा नाथपंथी, नाथ पंथ संप्रदाय परंपरा किताबें मौजूद हैं।
भारतीय पुस्तक न्यास के बुक स्टॉल के आकाश अत्री ने बताया कि हमारे पास विभिन्न विषयों के अलावा धर्म-अध्यात्म व योग पर आधारित पुस्तकें हैं। जिसमें रमेश बिजलानी की फेमस एलजेब्रस्ट ऑफ वर्ल्ड, रमेश पोखरियाल निशंक की हिमालय में विवेकानंद, आदि शंकरम, शंकराचार्य व दुनिया जब नई-नई थी मौजूद हैं।
राष्ट्रीय पुस्तक मेला में विश्वम फाउंडेशन द्वारा विश्वम युवा महोत्सव के तहत हुए कार्यक्रम में नन्हें-मुन्ने बच्चों ने गायन, नृत्य के हुनर दिखाया. श्रेया सिंह ने कविता पाठ, गुंजन भाटिया ने गीत, शिवांगी व अनंत ने नृत्य कर प्रशंसा पाई। हर्षिता ने लता मंगेशकर का चर्चित गीत सत्यम शिवम सुंदरम सुनाया।
भारतीय भाषा प्रतिष्ठान राष्ट्रीय परिषद की ओर से विनोद दीक्षित की किताबें मैं और मेरा संघर्ष व भगवान से मांगना नहीं लेना सीखो का विमोचन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महेश चंद्र द्विवेदी, प्रो. उषा सिन्हा और कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
मेले के मुख्य मंच पर ही लेखिका अलका प्रमोद के काव्य संग्रह “चेहरे की लकीरें“ का विमोचन और उपन्यास “जागृति उद्घोष “पर चर्चा हुई। कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ लेखिका डॉ. विद्या विंदु सिंह, मुख्य अतिथि साहित्यकार महेश चंद्र द्विवेदी, अतिविशिष्ट अतिथि सर्वेश अस्थाना व विशिष्ट अतिथि दूरदर्शन प्रोग्राम प्रोड्यूसर विवेक शुक्ल, डॉ. रश्मि शील व कवि केवल प्रसाद सत्यम सहित अन्य साहित्यप्रेमी मौजूद रहे। संचालन साहित्यकार अमिता दुबे ने किया।
अलका प्रमोद ने कहा कि,“ चेहरे की लकीरें“ जीवन के विविध रंगों पर आधारित मुक्त छंद कविताओं का संग्रह है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित लेखक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकें ’नवनाथ’, ’नाथ सम्प्रदाय : दर्शन कथा नाथपन्थ की’, और ’नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ’ का लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश पूर्व कुलपति, बीएचयू और आर. एन बनर्जी, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया मौजूद थे।
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राजकमल प्रकाशन की ओर से दिलीप पांडेय और चंचल शर्मा की लिखी पुस्तकों पर चर्चा हुई। जिसमें आईएएस डॉ.हरिओम, लेखक वीरेंद्र सारंग, प्रो.रत्ना श्रीवास्तव ने टपकी और बूंदी के लट्टू, काल सेंटर और खुलतीं गिरहे पर प्रकाश डाला। राजकमल की ओर से किस्सागो अभिषेक शुक्ल व हिमांशु बाजपेयी के साथ ‘शायरी और किस्सागोई की एक शाम दो लखनउओं के संग’ शीर्षक चर्चा हुई। यहां किस्सा-किस्सा लखनऊवा और अभिषेक श़ुक्ल की हर्फ ए आवारा पुस्तकों पर साहित्यप्रेमियों ने प्रकाश डाला। इसके आलोचना का स्त्री पक्ष पुस्तक पर सामाजिक कार्यकर्ता व लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति रुपरेखा वर्मा, कथाकार अखिलेश, लेखक विशाल श्रीवास्तव ने प्रकाश डाला।