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कामयाबी के बावजूद सुशांत की इस नियति में क्यों नहीं झांकना चाहता बॉलीवुड

धनंजय कुमार

हम छोटे थे, गाँव में थे, तो अक्सर कुएं या नदी में कूदकर, ज़हर खाकर या फांसी लगाकर किसी की आत्महत्या की खबरें सुनते थे, ऐसे ज़्यादातर मामलों में औरतें हुआ करती थीं. आत्महत्या के कारणों में अक्सर उसके नाजायज संबंध या सास-पति की प्रताड़ना होती थी. लेकिन प्रायः महिलायें होती थीं.

फिर जब शहर आया तो अखबारों से पता चला कर्जे या आर्थिक तंगी या रोजी रोजगार या करियर में असफलता की वजह से फलां व्यापारी या लड़के ने जान दे दी.

थोड़ा और बड़ा हुआ तो आत्महत्या के कारणों में डिप्रेशन सबसे बड़ा कारण है, ये पढने-सुनने को मिला कि फलां ने डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या कर ली. डिप्रेशन यानी उदासी, अवसाद, मानसिक प्रताड़ना. गुरुदत्त जैसे बड़े और सुलझे फ़िल्मकार ने आत्महत्या कर ली.
शुरुआत में मेरा बालमन सोचा करता था, आत्महत्या क्यों की, माँ के यहाँ चली जाती, कहीं भाग जाती. लेकिन जब बड़ा हुआ तो लगा, मरने वाले के लिए भागने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं होता. एक ही रास्ता होता है आत्महत्या.

आर्थिक संकटों से जूझते व्यक्तियों या मायके या ससुराल में प्रताड़ना झेल रही औरतों की आत्महत्याएं तो फिर भी आसानी से समझ में आती हैं, लेकिन जब कोई आत्मनिर्भर और सफल व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो गुत्थी उलझ जाती है. समझना आसान नहीं होता कि आखिर उसने जान क्यों दी?

फ़िल्मी दुनिया भी आम दुनिया जैसी ही है, जुमले भले लोग दें कि सेलेब्रिटी का जीवन अलग होता है. बाहर से सब अच्छा दिखता है, लेकिन अंदर से बड़ा घुटन भरा होता है. ऐसे दोस्त नहीं रह जाते, जिनसे वह अपनी बात, अपना दुःख, अपनी उलझन साझा कर पाये. मैं पिछले 30 साल से इस फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हूँ और स्टारों से लेकर असफल लोगों की जिंदगियों को करीब से देख – सुन रहा हूँ.

सबके दोस्त हैं. सफल लोगों के भी और असफल लोगों के भी. और मुझे लगता है फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा मददगार लोग रहते हैं. कारण ज्यादातर लोग संघर्ष से ऊपर आते हैं. संघर्ष के दिनों में आर्थिक तंगी, कठिन संघर्ष के बावजूद सफलता नहीं मिल पाने की कुंठा लगभग लोग झेलते हैं, इसलिए मदद भी करते हैं और हौसला भी देते हैं. फिर भी गुरुदत्त या सुशांत जैसे लोग आत्महत्या क्यों कर लेते हैं?

गुरुदत्त की तरह ही सुशांत भी सफल था. कम समय में ही उम्मीद से बेहतर सफलता हासिल कर ली थी. सीरियलों की दुनिया में पवित्र रिश्ता ने उसे घर घर लोकप्रिय बना दिया था. फिल्मों में भी काय पो चे, पीके, एम एस धोनी और सोन चिरैया जैसी अच्छी फिल्में उसके खाते में थी. नए हीरो में उसका नाम शिद्दत से शुमार था. पैसे भी बढ़िया कमा रहा था. आगे भविष्य भी सुनहरा था. फिर आत्महत्या क्यों?

कयास लगा रहे हैं लोग. पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन में था, दवाइयां चल रही थी, भीड़ के बीच वो अकेला था… आदि आदि. जितने लोग उतनी बातें. पुलिस के पास एक और एंगल है-कुछ दिन पहले ही उसकी एक करीबी बिजनेस मैनेजर ने बिल्डिंग की 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी. तो क्या उसकी आत्महत्या और सुशांत की आत्महत्या में कोई लिंक है.

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कुछ कह रहे हैं प्रेम का चक्कर था. करियर की शुरुआत में पवित्र रिश्ता की सह अभिनेत्री अंकिता लोखंडे से उसका अफेयर था. दोनों लिव इन रिलेशनशिप में कई साल रहे, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए.

फिल्म इंडस्ट्री में अलग अलग लड़कियों के साथ काम करने या सफलता के बाद अन्य लड़कियों का जीवन में आ जाना आम बात है. लेकिन दूसरी तरफ यह भी है कि हर लडकी से हर किसी का रिलेशन हो ही कोई ज़रूरी नहीं. कई लडकियां दोस्त के तौर पर साथ होती हैं. लेकिन सुशांत की आत्महत्या में यह एंगल नहीं दिखाई देता. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं.. वह अपने स्वर्गीय माँ को बहुत मिस करता था. शायद इस वजह से वह भावनात्मक अवसाद में हो.

कयास कई हैं, लेकिन ठोस पहलू नहीं है. सफल व्यक्ति जब आत्महत्या करता है, तो नतीजे पर पहुँचना आसान होता भी नहीं. लेकिन कुछ तो था या है जो सुशांत जैसे सफल व्यक्ति को भी आत्महत्या के लिए उकसाता है..मजबूर करता है. हमें उस पहलू को जानने, पहचानने और समझने की ज़रूरत है. लेकिन असंवेदनशीलता और बाजारवाद के दौर में क्या हम इस पहलू को जानना चाहते हैं?

(लेखक फिल्म लेखक-निर्देशक हैं)

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