जुबिली स्पेशल डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे मौजूदा सरकार से नाराज चल रहे हैं, खासकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उनका मतभेद बढ़ता जा रहा है।
बीते कुछ दिनों से शिंदे सरकारी कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि गठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
‘तांगा पलटने’ वाले बयान से फिर गरमाई सियासत
दो दिन पहले शिंदे ने बयान दिया था – “मुझे हल्के में लेने की गलती मत करना, मैं तांगा पलट देता हूं।”
आज फिर उन्होंने कहा – “अगर मैं पलटा तो तांगा पलट जाएगा। 2022 में भी मैंने यही किया था, जिसे समझना है, वो समझ लें।”
शिंदे का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा में है, और इसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े उलटफेर के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
शिंदे की नाराजगी, बीजेपी की रणनीति
2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर बीजेपी के समर्थन से सीएम बने शिंदे, लेकिन इस बार उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी और उपमुख्यमंत्री बनना पड़ा।
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री फडणवीस और शिंदे के बीच अब बातचीत तक बंद है। बीजेपी अब खुले तौर पर शिंदे से छुटकारा पाने का मौका तलाश रही है।
फडणवीस लगातार अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिससे शिंदे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शिंदे की
चेतावनी और दिल्ली में पवार की रणनीति
शिंदे एक बार फिर अपने बयानों से राजनीतिक अनिश्चितता के संकेत दे रहे हैं। वहीं, दिल्ली में शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मराठी सम्मान के मंच को साझा कर रहे हैं, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति और दिलचस्प हो गई है।
क्या शिंदे दोबारा कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर करेंगे या फिर बीजेपी उनके लिए कोई नई रणनीति अपनाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
फडणवीस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की है। ये मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि सूबे का सीएम खुद उनसे मिलने गए थे। इतना ही नहीं फडणवीस ने अपने आवास पर शिवसेना यूबीटी के 3 नेताओं का स्वागत किया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि सीएम फडणवीस लगातार मौके की तलाश में जिससे उनको एकनाथ शिंदे से छुटकारा मिल सके। सीएम फडणवीस एकनाथ शिंदे को संदेश देना चाहते हैं कि उनके पास उनका विकल्प भी मौजूद है।