Tuesday - 22 April 2025 - 12:55 PM

वत्सला पाण्डेय की कविता : प्रेम में डूबी स्त्री

वत्सला पाण्डेय  1. प्रेम में डूबी स्त्री याद नही रखती पग के शूलों का याद नही रखती तितली और फूलों का याद नही रखती दिन, दोपहर ,साँझ और रात याद नही रहता उसे सावन, बदरा और बरसात.. प्रेम में डूबी स्त्री रहती है हरदम अलसायी इधर-उधर तलाशती है तनहाई घर …

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तो क्या बदल रही हैं ममता दीदी

न्यूज डेस्क “बॉबी, आपके विभाग को बताया गया था… मैंने यहां आते हुए एक बस्ती का दौरा किया… चार सौ परिवार, दो शौचालय व गुसलखाने… क्यों…? हम झुग्गी-झोंपड़ी विकास के लिए पैसा देते हैं… पार्षद कौन है…? वह क्या कर रहे हैं…?” यह सवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी …

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ऑटो, पॉवर, इंफ्रास्ट्रक्चर, कताई जैसे सेक्‍टर में मंदी की मार

न्‍यूज डेस्‍क देश में नौकरी पिछले कई साल से लोगों की सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। देश में रोज़गार के गंभीर संकट उत्पन्न हो गए हैं। एक तरफ जहाँ केंद्र की मोदी सरकार द्वारा युवाओं को रोज़गार मुहैया करवाने की दिशा में प्रयास किये जाने का दावा किया जा …

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उलटबांसी : आर्थिक मंदी महाकाल का प्रसाद है

अभिषेक श्रीवास्तव बरसों बाद वामपंथियों के खुश होने का मुहूर्त आया है । किसी से भी बात करिये, पता नहीं क्यों सब मन ही मन खुश लग रहे हैं । चेहरे पर भले 370 बजा है, लेकिन दिल में अचानक एक उम्मी‍द जगी है । यह उम्मीद गहराती आर्थिक मंदी …

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‘आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम’

सुरेन्द्र दुबे चलिए आज की बात साहिर लुधियानवी के एक गीत से शुरु करते हैं, जिसे सुर दिया था खय्याम हाशमी ने, जिन्हें संगीत जगत सिर्फ खय्याम के नाम से जानता है। ये गीत आज की परिस्थितियों पर हर तरह से मौजू है। इसलिए सोचा कि चलो दीन दुनिया की …

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