Tuesday - 29 October 2024 - 3:35 PM

कोरोना के बीच ब्लैक फंगस मचा रहा तांडव

कृष्ण मोहन झा

विगत कुछ दिनों से देश में कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने पर जब लोग राहत महसूस करने लगे थे तभी ब्लैक फंगस की बीमारी ने कहर मचाना शुरू कर दिया और चंद दिनों में ही इस बीमारी ने इतना भयावह रूप ले लिया कि चौदह राज्यों की सरकारों को इसे महामारी घोषित करने के लिए विवश होना पड़ा।

देश के विभिन्न राज्यों में अब तक 9 हजार से अधिक लोग इस न ई महामारी की चपेट में आ चुके हैं जिनमें से 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

बताया जाता है कि दुनिया में ब्लैक फंगस की बीमारी से पीड़ित हर तीन व्यक्तियों में दो भारत के हैं और यह भी कम चिंता का विषय नहीं है कि ब्लैक फंगस के पीछे पीछे व्हाइट फंगस की आहट भी सुनाई देने लगी है।

दो तीन राज्यों में व्हाइट फंगस के मरीज मिल चुके हैं। यह भी एक विडम्बना ही है कि जब देश अपने आपको कोरोना की तीसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार कर रहा था तब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों ने दहशत फैलाना प्रारंभ कर दिया और अब ब्लैक फंगस से निपटना सरकार की पहली प्राथमिकता बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल संवाद कार्यक्रम में ब्लैक फंगस की महामारी से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए कहा है।

सबसे अफसोस की बात यह है कि ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होने की खबरें लगातार बढ़ रही हैं और राज्य सरकारें बराबर यह दावा कर रही हैं कि ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार हेतु आवश्यक इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा हर संभव उपाय किए जा रहे हैं ।

कुछ समय पूर्व जिस तरह आक्सीजन और रेमिडेसिवर इंजेक्शन जुटाने के लिए कोरोना संक्रमितों के परिजन भटक रहे थे उसी तरह अब ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शनों की कमी ने लोगों को त्रस्त कर दिया है।

स्थिति इस हद तक बिगड़ चुकी है कि ब्लैक फंगस के इंजेक्शन पाने के लिए संबंधित मरीजों के परिजन चिकित्सा अधिकारियों के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने लगे हैं ।

अफसोस की बात यह है कि इन इंजेक्शन के अभाव में देश के विभिन्न हिस्सों से ब्लैक फंगस के अनेक मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने के मामले अब लगातार बढ़ने लगे हैं।

ब्लैक फंगस के मरीजोंं के परिजनों को इसके इंजेक्शन प्राप्त करने में जिस तरह मुश्किलों का सामना करना पड रहा है उसे हाईकोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए गत दिवस कहा कि उपलब्ध इंजेक्शन की संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के ‌समान है। सरकार को इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी गत दिवस इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन -बी की मांग और आपूर्ति में एक तिहाई से अधिक का अंतर है ।

इस इंजेक्शन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार को सक्रिय उपाय करना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन ने गत दिवस कोरोना से संबंधित मंत्रिमंडलीय समूहकी 27 वीं बैठक में बताया है कि सरकार के द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ।

सरकार ने उक्त इंजेक्शन के 9 लाख वायल आयात करने के आदेश दिए हैं जिनमें 50 हजार वायल देश में आ चुके हैं और तीन लाख वायल एक सप्ताह में आ जाने की उम्मीद है।

ये भी पढ़े: कोरोना मरीजों में एक लाख कोरोनिल किट बांटेगी हरियाणा सरकार

ये भी पढ़े:अखिलेश के संसदीय क्षेत्र में सीएम योगी ने लोगों से किया संवाद

ये भी पढ़े:कोरोना : DM के इस फरमान से क्यों मुश्किल में सरकारी कर्मचारी 

डा हर्षवर्धन द्वारा मंत्रिमंडलीय समूह को दी गई जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन विदेशों से आयात करने के साथ ही देश के अंदर इसका उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

अभी जो पांच कंपनिया इसका उत्पादन कर रही हैं उनसे अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कहा गया है और पांच न ई कंपनियों को उक्त इंजेक्शन का उत्पादन करने हेतु लायसेंस दिए जा रहे हैं।

विगत दिनों ऐसी खबरें भी‌ सामने आई थीं कि देश में ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसी बीच येलो फंगस की बीमारी की शुरुआत होने की खबर भी नया डर पैदा कर दिया।

इस तरह की खबरों ने लोगों की चिताओं को और बढ़ा दिया कि व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से अधिक घातक है । उधर दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डा रणदीप गुलेरिया इस पक्ष में नहीं हैं कि किसी भी फंगस का नामकरण उसके रंग के आधार पर किया जाए।

उनका मानना है कि एक ही फंगस की पहचान उसके रंग के आधार पर करने से भ्रम पैदा ‌होता है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं कि जिन कोरोना मरीजों को आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया उन्हें ही फंगल इंफेक्शन हुआ है।

मध्यप्रदेश में भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट के अनुसार ब्लैक फंगस संक्रमण के 73 प्रतिशत मामले ऐसे पाए ग ए हैं जिन्हें कोरोना‌ संक्रमण के इलाज के लिए स्टेरायड नहीं दिए गए थे।

आश्चर्यजनक बात तो यह है कि ब्लैक फंगस से संक्रमित लोगों में 38 प्रतिशत को तो कभी कोरोना हुआ ही नहीं था।
ब्लैक फंगस से ग्रस्त लोगों के बारे में जुटाई गई जानकारी से यह पता चला है डायबिटीज अथवा कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस से संक्रमित व्यक्ति से किसी दूसरे को संक्रमण नहीं होता। ब्लैक फंगस का संक्रमण अधिक नमी में होने का खतरा अधिक होता है।

देश में कोरोनावायरस की पहली लहर के दौरान ब्लैक फंगस से संक्रमण के मामले नगण्य थे। कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से अधिक भयावह होने के कारण ब्लैक फंगस की बीमारी की शुरुआत हुई और अब इसके संक्रमण के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। गुजरात में इसके सर्वाधिक मामले पा‌ए‌ गए हैं ।

दूसरा सर्वाधिक ‌प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है । केंद्र ‌द्वारा ब्लैक फंगस ‌संक्रमम को अधिसूचित बीमारी घोषित कर दिए जाने ‌के बाद अब हर राज्य सरकार ‌के लिए अपने यहां दर्ज ब्लैक फंगस ‌संक्रमण की जानकारी ‌केंद्र को भेजना अनिवार्य है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन ने यद्यपि यह कहा है कि सरकार ब्लैक फंगस ‌संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है परंतु इसके मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए निःसंदेह ‌यह बीमारी अब केंद्र और राज्य सरकारों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।

इसको नियंत्रित करने के लिए जहां एक ओर इसके इंजेक्शन की जल्द से जल्द पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर चिकित्सा विशेषज्ञों की इस सलाह को मानना भी अनिवार्य है कि कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु उपयोग किए जाने वाले मास्क भी पूरी तरह स्वच्छ और नमी रहित हों।

नमी में इसके संक्रमण का खतरा अधिक होने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह इस बीमारी को रोकने में मददगार साबित हो सकती है। (लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है)

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com