जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी दल बीजेपी के सामने उम्मीदवारों के नाम घोषित करने से पहले ही उलझनों का पहाड़ खड़ा हो गया. विधानसभा चुनाव घोषित होने के फ़ौरन बाद बीजेपी ने लखनऊ में पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए बैठक बुलाई. इस बैठक में मुख्यमंत्री, दोनों उप मुख्यमंत्री और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के सामने वह सूची रखी गई जो टिकट के दावेदार हैं. दावेदारों की इस सूची पर मंथन के बाद पैनल बनाया गया. इस पैनल को केन्द्रीय चुनाव समिति के सामने रखे जाने के लिए वरिष्ठ नेताओं की टीम उधर दिल्ली रवाना हुई इधर इस्तीफों का ऐसा दौर शुरू हुआ कि पार्टी डैमेज कंट्रोल में लग गई.
दरअसल बीजेपी जब उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर मंथन में लगी थी तब यह खबरें छनकर बाहर आने लगी थीं कि बीजेपी मौजूदा 100 विधायकों के टिकट काटेगी. एक तरफ ऐसे उम्मीदवारों की तलाश जो कमल खिला सकें तो दूसरी तरफ 100 विधायकों के टिकट काटे जाने की सोच ने टिकट घोषित होने से पहले ही इस्तीफों का दौर चला दिया.
उम्मीदवारों के सामने जो बड़ी दुविधा खड़ी हुई व यही थी कि जब हमी ने पिछली बार कमल खिलाया था तो इस बार हम पर भरोसा क्यों नहीं. जब टिकट घोषित हो जायेंगे और नाम कट जाएगा तो कोई दूसरी पार्टी आखिर टिकट क्यों देगी. इस्तीफों का दौर शुरू हुआ तो पार्टी में हड़कम्प मच गया. उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व तक मान-मनव्वल में लग गया. जाने वाले नहीं रुके तो अब टिकट कटने वालों की संख्या 40 कर दी गई है.
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने इस्तीफ़ा देकर जो तूफ़ान उठाया था उसे 24 घंटों के भीतर ही दूसरे मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफे ने और भी मज़बूत कर दिया.
बीजेपी के सामने सबसे बड़ी टेंशन यह है कि एक तरफ पार्टी में भगदड़ का दौर शुरू हो गया है वहीं कल्याण सिंह की बहू को भी टिकट चाहिए है. रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को भी टिकट चाहिए है. कल्याण सिंह की बहू को अलीगढ़ से टिकट चाहिए है तो रीता बहुगुणा जोशी को लखनऊ कैंट की सीट चाहिए है. 2017 में इस सीट को रीता बहुगुणा जोशी ने जीता था लेकिन बाद में वह लोकसभा चली गई थीं. अब वह यह सीट फिर से वापस चाहती हैं.
पार्टी के सामने टेंशन यह है कि इन्हें टिकट दे दें तो मौजूदा विधायक को कैसे रोकें और इन्हें मना कर दें तो इन्हें पार्टी मे कैसे रोककर रखें. बीजेपी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इन्हें टिकट नहीं देने पर मिशन 2022 इतना आसान नहीं रह जायेगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में इस्तीफों का दौर अभी जारी है. शिकोहाबाद से बीजेपी विधायक मुकेश वर्मा इस्तीफ़ा दे चुके हैं. दूसरी बड़ी बात यह है कि बीजेपी लगातार परिवारवाद के नाम पर दूसरी पार्टियों को कटघरे में खड़ा करती रही है लेकिन धीरे-धीरे बीजेपी खुद भी परिवार वाद का शिकार होती जा रही है.
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