- श्रीराम एयरपोर्ट निर्माण व अतिक्रमणकारियों की वजह से वजूद पर ही खतरा..
- विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी नियुक्ति और निर्माण में व्यस्त
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। राम नगरी अयोध्या इस समय काफी सुर्खियों में है। दरअसल धर्म नगरी अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है। यूपी सरकार रामनगरी अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के तौर पर पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
जहां एक ओर रामनगरी आस्था का प्रधान केंद्र तो है ही राममंदिर निर्माण के साथ ही अब धार्मिक पर्यटन का हब बनने के लिए यूपी सरकार ने कमर कस ली है लेकिन इसके चक्कर में शिक्षा मंदिर डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के वजूद भी खतरे में पड़ता नजर आ रहा है।
दरअसल आर्थिक तरक्की के लिए अब अयोध्या अब पूरी तरह से तैयार है। इतना ही नहीं यहां और बेहद सुविधाओं को और विकसित करने के लिए श्रीराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जा रहा है।
इसके लिए राम नगरी के शिक्षा मंदिर डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय लगभग 25 एकड़ जमीन श्रीराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए शासन ने मुफ्त में ले ली है लेकिन हद तो तब और हो गई जब इतनी ही जमीन अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। इसको कब्जा करने वाला कोई और नहीं है बल्कि बीजेपी के जाने-माने नेता है। स्थानीय सूत्र बता रहे हैैं कि अष्टमी नवमी की छुट्टी का फायदा उठाकर भाजपा से संबधित एक व्यक्ति ने भी एक भूखंड पर कब्जा कर लिया। इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं।
सरकार ने 25 एकड़ जमीन व कुछ भवन भी निशुल्क लिया है
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर के मद्देनजर यहां पर एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय के बगल ही सन 1962 के चीन युद्ध के समय बनी एयरस्ट्रिप को ही अधिकारियों ने इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित कर दिया।
यहां पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध नहीं थी लेकिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर योजना को मूर्त रुप देने की कवायद प्रारंभ है। विश्वविद्यालय की भी लगभग पच्चीस एकड़ जमीन भी शासन ने मुफ्त में लिया जिस पर विश्वविद्यालय कई पाठयक्रम संचालित कर रहा था।
अब एक भूखंड पर बीजेपी नेता का कब्जा
विश्वविद्यालय के जिस गाटा संख्या 334, 1011, 751 पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है उसे मुक्त कराने के लिए विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव प्रोफेसर चयन कुमार मिश्रा, जो कि आजकल प्रभारी वित्त अधिकारी है, ने 27 नवंबर 2021 को उप जिला अधिकारी को पत्र लिखा था। प्रशासन ने कोई कारवाई नहीं किया। इस पत्र में कहा है कि गाटा संख्या 334 लखनऊ गोरखपुर हाइवे मुख्य मार्ग के बगल है। जिसके कारण यह बेशकीमती है। इसी गाटा संख्या 334 पर कब्जे का प्रयास भाजपा से जुड़ा एक व्यक्ति काफी दिनों से कर रहा था।
कब्जे की कोशिश के दौरान लगभग पांच माह पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने वार्ता किया था। नापजोख के बाद जमीन विश्वविद्यालय की पाई गई और कब्जा करने वाले व्यक्ति को हिदायत दी गई थी।
इसके बाद कब्जे का प्रयास करने वाले व्यक्ति ने फैजाबाद के एक जनप्रतिनिधि के साथ कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह से मुलाकात कर पुन: अपनी जमीन बताने की ढिठाई कर डाली थी।
छुट्टी का फायदा उठाकर किया कब्जा
शनिवार के दिन विश्वविद्यालय में अष्टमी की छुट्टी थी और अगले दिन रविवार। अयोध्या जनपद का प्रशासनिक अमला रामनवमी मेले में व्यस्त है। इसका फायदा कब्जे दार ने पूजन करके जेसीबी मशीन से नींव खुदवा कर भरवाया। मामले की जानकारी देने के लिए जब कुलपति कुलसचिव को फोन किया गया तो कुलसचिव ने फोन नहीं उठाया और कुलपति का फोन स्विच ऑफ बता रहा था।
संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हायर एजेंसी भी सवालों के घेरे में
उधर विश्वविद्यालय ने अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा एजेंसी हायर कर रखी है लेकिन उसका कामकाज भी सवालों के घेरे में है। बता दें कि सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों का भुगतान किया जाता है लेकिन ये लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे हैं।
अवध विश्वविद्यालय पुरातन छात्र सभा अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि जमीन पर कब्जे के लिए छुट्टी का दिन चुनना और अधिकारियों का फोन ना उठना महज संयोग नहीं हो सकता। विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान नए निर्माण कार्यों और नियुक्तियों पर है। विश्वविद्यालय जनपद से लेकर हाइकोर्ट तक वकीलों के पैनल को मोटी रकम अदा करता है। अपनी जमीन को खाली कराने की पैरवी विश्वविद्यालय प्रशासन क्यों नहीं करता।