न्यूज़ डेस्क
केन्द्रीय मंत्री थावर सिंह गहलोत ने भले ही 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने के योगी सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया है। लेकिन सूबे की बीजेपी सरकार अपने फैसले पर अडिग दिख रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा फिलहाल हाइकोर्ट के आदेश से मिला है। जब तक अदालत का आखिरी फैसला इस पर नहीं आ जाता, तब तक उन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा हांसिल रहेगा।
इस फैसले पर योगी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया है कि ये अदालत का अंतरिम आदेश है और जब तक इस मसले पर अदालत का आखिरी फैसला नहीं आता, तब तक सरकार न सिर्फ उन 17 जातियों को अनुसूचित जाति की तरह मानेगी। साथ ही उन्हें अनुसूचित जातियों के सर्टिफिकेट और लाभ भी मिलते रहेंगे। इसके अलावा इस मामले में उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा कि ये फैसला कोर्ट के आदेश के बाद हुआ है। सरकार इसके तकनीकी पहलुओं को देखेगी।
बता दें कि बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीशचंद्र मिश्र के सवाल के जवाब में राज्यसभा में सदन के नेता और केंद्र सरकार में मंत्री थावरचंद गहलोत ने 17 अनुसूचित जातियों के दलित जातियों में शामिल करने को असंवैधानिक कहा था। साथ ही उन्होंने कहा था कि जातियों को यह पूरी तरह से असंवैधानिक है क्योंकि यह संसद का विशेषाधिकार है और यह किसी भी विधि न्यायालय में मान्य नहीं है। हम योगी सरकार से इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध करेंगे।
इस पर विपक्षी दलों ने योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। कांग्रेस ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 17 अति पिछड़ी जातियां अब कहीं की नहीं रहीं है। न तो यह ओबीसी में होगी और न ही यह दलितों में होंगी। ऐसे में बीजेपी ने उनके साथ खिलवाड़ किया है।
हालांकि, इस मुद्दे पर बीजेपी को चारों तरफ से घेरने की कोशिश लगातार हो रही है। वहीं, योगी सरकार इस मुद्दे पर अपने पांव पीछे खींचती नहीं दिख रही है बल्कि अदालत के फैसले का हवाला देकर इसे लागू करने की बात कह रही है।