जुबिली न्यूज डेस्क
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी गदगद है और इसे ‘नैतिक जीत’ बता रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “भाग्यनगर” का भाग्योदय प्रारंभ हो रहा है।
"भाग्यनगर" का भाग्योदय प्रारंभ हो रहा है…
हैदराबाद के निकाय चुनावों में भाजपा एवं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व पर अभूतपूर्व विश्वास जताने के लिए "भाग्यनगर" की जनता का कोटि-कोटि धन्यवाद।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 4, 2020
दूसरी ओर यूपी में भी बीजेपी का विजय रथ तेजी से दौड़ रहा है। शिक्षक कोटे से एमएलसी के चुनाव में पार्टी ने पहली बार उम्मीदवार उतारे। इनमें छह में से तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की। सबसे बड़ा उलट फेर मेरठ सहारनपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में हुआ। 48 सालों से चुनाव जीत रहे ओम प्रकाश शर्मा हार गए। बीजेपी के श्रीचंद्र शर्मा ने उन्हें हराया।
बरेली मुरादाबाद की सीट भी बीजेपी ने समाजवादी पार्टी से छीन ली। हरी सिंह ढ़िल्लों ने संजय मिश्र को हरा दिया। लेकिन बीजेपी को सबसे तगड़ा झटका अपने ही गढ़ में लगा है। वो भी पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में। यहां विधान परिषद की दोनों सीटें पार्टी हार गई।
यहां से सपा उम्मीदवार लाल बिहारी यादव ने एमएलसी चुनाव जीत लिया। वाराणसी की हार ने बीजेपी के लिए जीत का स्वाद फीका कर दिया है। बता दें कि लोकसभा से लेकर विधानसभा और मेयर तक का चुनाव बीजेपी मोदी के वाराणसी में जीतती रही है।
विधान परिषद के चुनाव के लिए बीजेपी ने डेढ़ साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी, जिन्हें उम्मीदवार बनाया गया, उन्हें पहले ही प्रचार में लगा दिया गया था। पार्टी के नेताओं ने वोटर बनाने से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक बनाए। मंडल से लेकर पोलिंग बूथ तक कार्यकर्ता और मतदाता सम्मेलन आयोजित किया गया।
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पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बंसल ने जगह-जगह जाकर दौरा किया। योगी सरकार के कई मंत्रियों की भी प्रचार में ड्यूटी लगाई गई।
इसके अलावा इलाहाबाद झांसी खंड स्नातक एमएलसी चुनाव में भाजपा के 24 साल के मजबूत किले को ढहाकर सपा के डॉक्टर मान सिंह यादव ने जीत दर्ज की है।
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बता दें कि यूपी में विधान परिषद की 11 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आ गए हैं। शिक्षक कोटे से 6 और स्नातक कोटे से 5 सीटों पर चुनाव हुए। स्नातक सीटों पर बीजेपी पहले से चुनाव लड़ती रही है। लेकिन शिक्षक कोटे के लिए पहली बार पार्टी ने उम्मीदवार उतारे।
शिक्षक संघों से टकराव से बचने के लिए बीजेपी चुनाव नहीं लड़ती थी लेकिन इस बार दो दो हाथ करने का फ़ैसला हुआ। पार्टी ने गोरखपुर छोड़ कर सभी सीटों पर उम्मीदवार दिए। बीजेपी तीन सीटें जीतने में कामयाब रही। वाराणसी और आगरा में उसे हार मिली।