शबाहत हुसैन विजेता
लखनऊ. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी का मुस्लिम चेहरा सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन को पार्टी बिहार से विधानपरिषद में भेजने जा रही है. शाहनवाज़ हुसैन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. साल 2006 और 2009 में भागलपुर से और 1999 में किशनगंज से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं.
तीन बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले शाहनवाज़ हुसैन को बिहार में विधानपरिषद भेजे जाने के पीछे बीजेपी की कोई बड़ी रणनीति भी हो सकती है. 18 जनवरी को नामांकन, 19 को नामांकन की जांच और ज़रूरी हुआ तो 28 जनवरी को चुनाव होना है.
बिहार विधानपरिषद की दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. एक सीट विनोद नारायण झा के इस्तीफे से खाली हुई है और दूसरी सीट से इस्तीफ़ा देकर सुशील मोदी राम विलास पासवान के निधन से रिक्त हुई सीट पर राज्यसभा चले गए थे.
शाहनवाज़ हुसैन बिहार के रहने वाले हैं लेकिन हमेशा राष्ट्रीय राजनीति में रहे हैं. वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. पार्टी उन्हें अपने मुस्लिम चेहरे के तौर पर इस्तेमाल करती रही है.
राष्ट्रीय प्रवक्ता को विधानपरिषद में भेजने के पीछे बीजेपी की कोई बड़ी रणनीति ही काम कर रही है. एक तरफ तो यह माना जा रहा है कि उन्हें राष्ट्रीय फलक से काटकर बिहार तक ही सीमित कर दिया जाए. तो दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में उन्हें नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए.
जिस तरह से बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की जगह बीजेपी ने दो उप मुख्यमंत्री बनाए और सुशील मोदी को राज्यसभा भेजकर उन्हें बिहार की राजनीति से दूर कर दिया उसी तरह से शाहनवाज़ हुसैन को बिहार की राजनीति में सक्रिय कर बीजेपी बिहार में एक तरफ अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के तौर पर बिहार को शाहनवाज़ हुसैन की शक्ल में एक बड़ा चेहरा भी देने जा रही है.
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बीजेपी बिहार में पार्टी को बढ़ाना चाहती है. इस चुनाव में बीजेपी एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी भी है. बिहार में मुस्लिम वोट रिजल्ट को बदलने की ताकत रखते हैं. ओवैसी ने बिहार में तेजस्वी की सरकार बनने से रोककर यह साबित भी कर दिया. बीजेपी की तरफ से शाहनवाज़ अगर वहां सक्रिय होते हैं तो बीजेपी की सीटें बढ़ना तय हैं और बीजेपी अपने दम पर बिहार में सरकार भी बना सकती है.