न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में सियासी संकट आखिरी स्टेज पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ सत्ता में आने के बाद से लगातार बीजेपी और ज्योतिरादित्य को मात दे रहे थे, पर आज पासा पलट गया है। सिंधिया को अपने पाले में लाकर बीजेपी ने कमलनाथ को मात देने में कामयाब हो गई है। फिलहाल मध्य प्रदेश की राजनीति का क्लाइमेक्स जल्द ही सामने आने वाला है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के ऐलान के साथ ही मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया। हालांकि सिंधिया लोकसभा चुनाव के बाद से कई बार कांग्रेस छोडऩे का संकेत दे चुके थे। बस वह सही समय का इंतजार कर रहे थे।
सिंधिया पिछले काफी समय से कांग्रेस आलाकमान से नाराज बताए जा रहे थे। नवंबर 2019 में सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल का बायो बदल दिया था। उन्होंने बायो से पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री जैसे पदों का जिक्र हटाते हुए खुद को समाजसेवी और क्रिकेट प्रेमी बताया था। तब भी अफवाहें उड़ी थीं कि सिंधिया कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
पिछले कई दिनों से मध्य प्रदेश में सियासी संकट बना हुआ है। कमलनाथ और वरिष्ठï कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह माहौल को संभालने में लगे हुए थे, पर आज स्थिति बिल्कुल उलट हो गयी। सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे की घोषणा के बाद मध्य प्रदेश में इस्तीफे का दौर शुरु हो गया।
14 विधायकों के इस्तीफे के बाद इंदौर के शहर कांग्रेस के अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। टंडन को सिंधिया का वफादार माना जाता है। इससे पहले सिंधिया खेमे के 14 कांग्रेस विधायकों ने प्रदेश के राजभवन को विधानसभा सदस्यता से अपने इस्तीफे ई-मेल कर दिये।
सिंधिया खेमे के विधायकों के इस कदम से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है।
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि कांग्रेस के 14 विधायकों ने अपने त्यागपत्र राजभवन को भेज दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिंधिया खेमे के ये विधायक बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में ठहरे हुए हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी से असंतुष्ट चल रहे कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफा से congress को बड़ा झटका लगा। हालांकि, उन्होंने कल (नौ मार्च 2020) ही ये इस्तीफा भेज दिया था, जिसे उन्होंने आज सुबह पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भेंट के बाद सार्वजनिक किया।
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