हेमेंद्र त्रिपाठी
देश के अन्नदाता और सरकार आमने-सामने है। तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देशभर के किसान दिल्ली सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। न तो किसान झुकने को तैयार है और न ही सरकार किसानों की मांग के मानने को तैयार। करीब 20 दिनों बीत चुके हैं। इन 20 दिनों में सरकार और किसानों के बीच पांच बार बातचीत हो चुकी है। इसके बावजूद भी बीच का कोई रास्ता अब तक नहीं निकल सका है।
उधर दूसरी तरफ इस सबके बीच भाजपा अपने पुराने हथियार के साथ किसानों का मुकाबला करने पर उतर गई है। भाजपा का अब तक का सबसे कारगर हथियार आईटी सेल माना जाता रहा है। किसान आंदोलन को बीजेपी अब आईटी सेल के माध्यम से एक अलग ही रूप देने में जुट गई है।
ऐसा पहली बार नहीं है कि बीजेपी का आईटी सेल किसान आन्दोलन में इस तरह की भूमिका निभा रहा है। बल्कि जहां-जहां बीजेपी को मजबूती से इसकी जरुरत पड़ती है वो अहम भूमिका निभाता है।
आपको सीएए और एनआरसी का मुद्दा तो याद ही होगा ना। इस मुद्दे को लेकर भी बीजेपी के आईटी सेल ने एक अलग ही रूप देने की कोशिश की थी। दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बैठी महिलाओं ने केंद्र सरकार को हिला कर रख दिया था। करीब 100 दिन तक इस प्रदर्शन में बैठी महिलाएं जब तस से मस नही हुई तो बीजेपी की आईटी सेल ने इसको अलग ही रूप दे दिया।
बीजेपी की आईटी सेल ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं के ऊपर गंभीर आरोप लगाये। यहां तक बताया गया कि शाहीन बाग़ में जो महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं वो वहां 500 से 700 रूपये लेकर शिरकत करने पहुँचती हैं। इस तरह लगाये गये आरोपों के चलते बीजेपी की आईटी सेल को खामियाजा भी भुगतना पड़ा। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं ने भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को एक करोड़ रूपये की मानहानि का नोटिस भेजा और माफ़ी भी मांगने को कहा।
इसके अलावा जब भी कोई भी चुनाव होने होते है फिर चाहे वो लोकसभा हो या विधानसभा, पंचायत चुनाव हो या फिर कोई भी छोटा मोटा चुनाव हो। बीजेपी की आईटी सेल विपक्षी पार्टी पर हमलावर हो जाती है। आईटी सेल विपक्ष के नेताओं की छवि बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोडती। ये बीजेपी के आईटी सेल की ही देन है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पप्पू बना दिया।
कुछ इसी तरह बीजेपी की आईटी सेल ने किसान आन्दोलन में भी करने की कोशिश। लेकिन उनका ये दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। एक-आध बार किसी से ग़लती हो जाए तो उसे माफ कर दिया जाता है। लेकिन जब से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं, ट्रोल आर्मी द्वारा उन्हें लगातार खालिस्तानी, देशद्रोही बताया जा रहा है।
किसानों को खालिस्तानी और उनके समर्थन में आवाज़ उठाने वालों को वामपंथी और टुकड़े-टुकड़े गैंग का बताने में ख़ुद सरकार के मंत्री लगे हुए हैं। लेकिन सरकार आँखे बंद करके इस ग़लतफहमी में बैठी हुई है कि कुछ वक़्त बाद किसान थक-हारकर घर चले जाएंगे या फिर कुछ हो जाए वो तो इन क़ानूनों को वापस नहीं ही लेगी क्योंकि उसकी नाक का सवाल है।
किसानों के आन्दोलन करते हुए 20 दिन से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन पिछले 15 दिनों से बीजेपी के नेता, केंद्र सरकार के मंत्री, इस आन्दोलन को चीन और पाकिस्तान का हाथ बता रहे हैं और अब फिर से ट्विटर पर खालिस्तानी-वामपंथी भाई-भाई ट्रेंड कराया जा रहा है।
बीजेपी में ऐसे नेताओं की लम्बी कतार है जो इस आन्दोलन को खालिस्तानियों और वामपंथियों का आंदोलन बता चुके हैं या इसमें घुसपैठ होने की बात कह चुके हैं।
इनमें वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम और अरुण सिंह का नाम शामिल है। वहीं केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे, हरियाणा सरकार के मंत्री जेपी दलाल ने इस आन्दोलन के पीछे चीन-पाकिस्तान का हाथ तक बता दिया।
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राजनीति में इतने ऊंचे पदों पर बैठे इन लोगों को सियासी तजुर्बा भी अच्छा-खासा है लेकिन बावजूद इसके अगर ये लगातार इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन से बौखला चुकी है। क्योंकि सरकार पिछले छह साल में यह भूल चुकी थी कि उसके ख़िलाफ़ भी कोई आवाज़ उठा सकता है।
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किसान आन्दोलन को बदनाम करने के पीछे ट्विटर पर कई तरह की पोस्ट वायरल हो रही हैं। इसमें लिखा है कि किसान पाकिस्तान का विरोध बंद करने, खालिस्तान का निर्माण करने और मोदी हटाओ की मांग कर रहे हैं।
Say much more loudly#खालिस्तानी_वामपंथी_भाई_भाई pic.twitter.com/6PafbF1pKp
— Kunal (@Kunz017) December 14, 2020
ये है आज की सच्चाई
ज़रा गौर से देखिये और सोचिए pic.twitter.com/11JWyMaSvb
— Naveen Kumar (@naveenjindalbjp) December 14, 2020
ख़ुद को सनातनी हिंदू बताने वाले अमित शर्मा ने मुसलमानों का सिखों के लिए लंगर लगाने वाला फ़ोटो ट्वीट किया। साथ ही लिखा है कि खालिस्तानियों और वामपंथियों ने किसान आंदोलन को हाईजैक कर लिया है।
Khalistanis and Communists have hijacked Farmer’s protest#खालिस्तानी_वामपंथी_भाई_भाई pic.twitter.com/XQ8KyQYYYp
— अमित शर्मा 💯%FB (@AmitsharmaGRENO) December 14, 2020
#खालिस्तानी_वामपंथी_भाई_भाई
Biggest Scam is #FarmersProtest in India pro agenda of KhalistanAll these Sponsored by Khalsa Aid who defaced Mahatma Gandhi Statue, chanting “Khalistan Zindabad”
Yeah but keep ur mouth shut they’re “Annadata” pic.twitter.com/D3C1V240km
— Saffron Girl 🚩 (@Saffron_Girll) December 13, 2020
इसके अलावा ट्रोल आर्मी को किसानों के आंदोलन में पिज्जा बंटने, किसानों के पैरों के आराम के लिए मशीनें आने से भी बहुत समस्या हो रही है। भगवा लड़की नाम की ट्विटर यूजर लिखती हैं कि किसानों का आंदोलन खालिस्तान बनाने का एजेंडा है लेकिन हमें मुंह बंद रखना है क्योंकि वे अन्नदाता हैं।