न्यूज डेस्क
चुनाव आयोग किसी भी वक्त महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है। बीजेपी, शिवसेना और कांग्रेस जैसे बड़े दलों के लिए ये चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है, इसलिए सभी पार्टियों ने जीत हासिल करने के लिए अपने सारे पैतरें आजमाने शुरू कर दिए हैं।
महाराष्ट्र चुनाव की अहमियत इस बात से लगाई जा सकती है कि पिछले दो हफ्ते के भीतर पीएम मोदी का यह दूसरा महाराष्ट्र दौरा है। संभावना जताई जा रही है कि इस रैली में पीएम मोदी कुछ घोषणाएं भी कर सकते हैं। महाजनादेश यात्रा के समापन पर वह नासिक में रैली को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी की रैली को लेकर एक दिन पहले बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में मोटरसाइकिल रैली भी निकाली गई थी।
दूसरी ओर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के अलग-अलग राह चुनने के आसार बढ़ गए हैं। लंबे समय से एक-दूसरे के सहयोगी रहे इन दलों के बीच विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे की लकीर खिंच गई है।
हर हाल में अपने दम पर बहुमत पाने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी शिवसेना को सौ से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है। ऐसे में गठबंधन तभी बचेगा, जब शिवसेना झुकते हुए भाजपा की शर्त स्वीकार करेगी। हालांकि इसके आसार कम ही दिखाई दे रहे हैं।
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा और शिवसेना के बीच तनातनी चरम पर पहुंच गई थी। लेकिन बाद में दोनों दलों ने गिले-शिकवे करते हुए गठबंधन पर सहमति बना ली थी।
लेकिन इन चुनावों में एक बार फिर मोदी लहर के प्रभावी साबित होने से दोनों दलों के बीच फिर से कटुता बढ़ रही है। राज्य में सीट बंटवारे का फार्मूला फिर से दोनों दलों के बीच आड़े आ गया है।
दरअसल लोकसभा चुनाव में भाजपा को 140 से अधिक तो शिवसेना को करीब 80 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। बीजेपी इसी आधार पर शिवसेना को अधिकतम 100 सीट देने को ही तैयार है। साथ ही बीजेपी की निगाहें इस कवायद के जरिए अपने दम पर बहुमत हासिल कर भविष्य में शिवसेना की तरफ से किसी भी तरह के दबाव का रास्ता बंद कर देने पर भी टिकी है।
दोनों पार्टियों के बीच इस मुद्दे पर तनातनी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि राज्य में चुनाव अगले महीने होने की संभावना है, लेकिन अभी तक दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने सीट बंटवारे पर आपस में कोई गंभीर मंथन नहीं किया है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपने दम पर 122 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनाव के बाद राकांपा और कांग्रेस के कई प्रमुख नेता पार्टी में शामिल हुए हैं। राकांपा और कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी को बढ़त हासिल है।
साथ ही शिवसेना के मुकाबले पार्टी की ताकत में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। लोकसभा चुनाव में कम सीटों पर लड़ने के बावजूद पार्टी को 145 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी। जाहिर तौर पर अगर पार्टी अधिक सीटों पर लड़ती तो यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ जाता। इसी कारण पार्टी ने गठबंधन की स्थिति में कम से कम 188 विधानसभा सीटों पर लड़ने का लक्ष्य तय किया है।
दूसरी ओर कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख बाला साहब थोराट ने कहा है कि पार्टी अगले दो दिनों मेें राज्य विधानसभा चुनाव के लिए 50 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर देगी। पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी ने दिल्ली में बुधवार को इस सूची को अंतिम रूप दे दिया है।
उन्होंने कहा कि हम सभी चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं और हमने अच्छे व प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को चुना है। हमें भरोसा है कि वह अच्छा भी करेंगे। पहले 50 प्रत्याशियों की सूची के 20 सितंबर तक सामने आने की आशा है।
गौरतलब है कि राज्य विधानसभा की 288 सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन बनाया है और प्रत्येक दल 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, जबकि बाकी सीटें गठबंधन में शामिल अन्य दलों के लिए छोड़ दी गई हैं।
चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनावों के मद्देनजर महाराष्ट्र का दौरा किया। मुंबई में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बलदेव सिंह और डिप्टी निर्वाचन अधिकारी दिलीप शिंदे के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। राज्य आयोग ने चुनाव आयोग से नए वोटरों के नामांकन और जागरूकता अभियान की प्रगति की रिपोर्ट सांझा की।
आयोग ने राज्य के राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं से भी मुलाकात की। क्योंकि राज्य से एक चरण में चुनाव होना है। इसलिए आयोग ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों के अलावा चाक चौबंद व्यवस्था के लिए राज्य आयोग को निर्देश दिए।
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव इस साल दिवाली से पहले चुनाव पूरे होने हैं। तिथियों की घोषणा इसी सप्ताह होनी है। हरियाणा में 90 और महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होना है।