उत्कर्ष सिन्हा
शुक्रवार को जिस वक्त समाजवादी पार्टी मुख्यालय में स्वामी प्रसाद मौर्या सहित भाजपा छोड़ कर आए दर्जनों नेता भाषण दे रहे थे उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में एक दलित के साथ जमीन पर बैठ कर भोजन कर रहे थे.
समाजवादी पार्टी ने जिस तरह एक के बाद एक भाजपा को बड़े झटके दिए हैं उसके बाद योगी की ये तस्वीर महत्वपूर्ण हो जाती है .
कुछ ही दिनों पहले योगी आदित्यनाथ ने यूपी की लडाई को 80 बनाम 20 बताया था. सियासी पंडितों का मानना था कि योगी इस बयान के जरिये 80 प्रतिशत हिन्दुओं बनाम 20 प्रतिशत अल्पसंख्यको की और अपना चिरपरिचित दांव खेल रहे थे .
लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्या इस फार्मूले को एक अलग दिशा में ले गए . स्वामी ने लडाई को 85 बनाम 15 बताया . 85 यानी दलित और पिछड़े और 15 सवर्ण और उसमें भी स्वामी का कहना था कि इस 15 में भी समाजवादी और अम्बेडकरवादी लोग हैं जो हमें वोट देंगे.
यह बात अब साफ़ हो चुकी है कि अखिलेश इस लडाई को अब तक बढ़ने में कामयाब रहे हैं और उन्होंने प्रदेश के सबसे ताकतवर पिछड़े वर्ग के नेताओं और वोटरों को गोलबंद कर लिया है. अखिलेश इस बात का संकेत देने में कामयाब दिखाई दे रहे हैं कि योगी सरकार में दलित और पिछडो के प्रति अन्याय हुआ है.
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के पेशानी पर बल जरूर पड़े हैं . समर्थक और नेता भले ही ये कह रहे हैं कि इस भगदड़ से कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन बीते कुछ दिनों से बड़े नेताओं की ख़ामोशी और लखनऊ भाजपा मुख्यालय में पसरी शांति कुछ और ही इशारे कर रही है.
इस डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने दलितों की और देखना शुरू कर दिया है. हालाकि समय समय पर भाजपा पहले भी दलित भोज के कार्यक्रम करती रही है और पीएम् बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने दलित स्मारकों का दौरा भी किया , खुद योगी अति दलित मुसहरो के प्रति अपनी सहृदयता जताने में कोई कसर नहीं रखते.
दिल्ली में चल रहे मंथन के बाद अब भाजपा ने तय कर लिया है कि अपना वोट बैंक बचने के लिए उसे दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है . दलितों को रिझाने के लिए दो तरह से काम किया जायेगा . योगी की दलित के साथ भोजन करने वाली तस्वीर भी इसी का हिस्सा है . साथ ही साथ पार्टी के दलित नेताओं को दलित बस्तियों में प्रवास करने के लिए कहा जा रहा है. प्रवास कार्यक्रम के दौरान वे योगी सरकार की उन योजनाओं के बारे में बात करेंगे जिससे दलितों को सीधा लाभ पहुंचा है .
मुफ्त राशन ,उज्ज्वला योजना और कोरोना के समय दिए गए छोटे ऋण के साथ पीएम आवास योजना का जिक्र जरुर किया जाएगा साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डा. भीमराव आंबेडकर से जुड़े स्थानों को सहेजने की जो पहल की थी, उसे प्रचारित किया जा रहा है.
इन योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा पार्टी कार्यकर्ताओं को विधानसभावार दिया जा रहा है और घरघर संपर्क अभियान के जरिये इनसे संपर्क करने को कहा जा रहा है .
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लेकिन विपक्ष भी इस अभियान की हवा निकलने की कोशिस में जुटा हुआ है . विपक्ष ने सरकारी उपक्रमों के निजीकरण का मामला उठाते हुए नौकरियों में आरक्षण ख़त्म करने की साजिश का मामला लगातार उठाया है. समाजवादी पार्टी में शामिल होने के वक्त स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी इसका जिक्र बहुत जोर शोर से किया.
सपा और भाजपा की इस लडाई में मायावती का वोटर फैसलाकुन हो गया है लेकिन इस बार के चुनावो में अब तक हाशिये पर दिख रही मायावती का नुक्सान होना तय है. यूपी की विधान सभा की इस जंग में सबसे ज्यादा नुक्सान में फिलहाल बहुजन समाज पार्टी ही दिख रही है.