Monday - 28 October 2024 - 7:12 AM

महात्मा गांधी की गद्दी खतरे में

सुरेंद्र दुबे 

मध्‍य प्रदेश के भोपाल से भाजपा सांसद साध्‍वी प्रज्ञा एक बार फिर सुर्खियों में आ गईं हैं। अबकी बार साध्‍वी प्रज्ञा ने देश के राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी को सीधे-सीधे निशाने पर ले लिया है। कल उन्‍होंने पत्रकारों से कहा महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रपुत्र हैं और हमारे लिए आदरणीय हैं।

एक तरह से उन्‍होंने महात्‍मा गांधी को राष्‍ट्रपिता की गद्दी से उतार कर राष्‍ट्रपुत्र की छोटी गद्दी पर बैठा दिया। इतनी बड़ी बात पर कोई चर्चा नहीं हो रही है, क्‍योंकि गांधी के इस देश में उनके मान सम्‍मान की रक्षा करने से भी लोग कतराने लगें हैं।

भारतीय जनता पार्टी देशभर में गांधी संकल्प यात्रा निकाल रही है, लेकिन साध्वी प्रज्ञा ने अभी तक इसमें हिस्सा नहीं लिया। ठीक भी है जब उनके लिए गांधी का हत्‍यारा नाथूराम गोड़से देश भक्‍त है तो फिर उन्‍हें गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित कार्यक्रमों में हिस्‍सा लेने की जहमत क्‍यों उठानी चाहिए।

कल साध्‍वी भोपाल रेलवे स्‍टेशन पर एक कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने पहुंची थी, जहां पत्रकारों ने उनसे पूछ लिया कि वह संकल्‍प यात्रा क्‍यों नहीं भाग ले रहीं हैं। साध्‍वी ने इसका तो कोई जवाब नहीं दिया कि वह संकल्‍प यात्रा में क्‍यों नहीं भाग ले रहीं हैं। परंतु यह कह कर नए विवाद को जन्‍म दे दिया “महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रपुत्र हैं और हमारे लिए आदरणीय हैं। लेकिन मुझे किसी को सफाई नहीं देनी।“

बस इस एक बात से साध्‍वी ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि वह महात्‍मा गांधी को राष्‍ट्रपिता नहीं बल्कि राष्‍ट्रपुत्र मानती हैं। सवाल ये है कि फिर अब नया राष्‍ट्रपिता कौन है। क्‍या साध्‍वी महात्‍मा गांधी को राष्‍ट्रपिता के पद से हटाने का कोई अभियान चलाना चाहती हैं या फिर ऐसा कोई अभियान चलाने का उन्‍हें कोई निर्देश मिल गया है।

जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के ह्यूश्‍टन में हाउडी कार्यक्रम से लौटे हैं तब से महात्‍मा गांधी की राष्‍ट्रपिता वाली कुर्सी खतरे में पड़ी हुई है। अब चूंकि 10 हजार से अधिक झूठ बोलने वाले अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को ‘फॉदर ऑफ नेशन’ कह दिया है, तबसे भाजपाईयों की आंखों में नरेंद्र मोदी को राष्‍ट्रपिता की कुर्सी पर बैठाने का सपना तैरने लगा है।

साध्‍वी प्रज्ञा के बयान को बहुत हल्‍के में नहीं लिया जाना चाहिए। क्‍योंकि श्री नरेंद्र मोदी को राष्‍ट्रपिता बनाए जाने की मांग अंदर खाने उठने लगी है। भारत के गृहमंत्री अमित शाह ये कहते हुए नहीं थक रहे हैं कि इतिहास को नए सिरे से लिखे जाने की जरूरत है।

अब जब इतिहास नए सिरे से लिखा जाएगा तो महात्‍मा गांधी की उपाधि भी बदली जा सकती है। राष्‍ट्रपिता के बजाए अगर राष्‍ट्रपुत्र लिख जाएगा तो गांधी जी तो मना करने आएंगे नहीं। कांग्रेसियों को सीबीआई और ईडी के झमेलों से ही फुरसत नहीं है। देश का जो माहौल है उसमें विरोध के स्‍वर मुखर होने की परंपरा ही खत्‍म हो गई है।

मेरा मानना है कि अभी अभी गुपचुप खिचड़ी पक रही है। कब सरेआम देगची में खिचड़ी पकने लगेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं आग जल रही है। धुंआ यूं ही नहीं उठ रहा है।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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