जुबिली न्यूज डेेस्क
केंद्र सरकार की ओर से अब तक पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल और इसके जरिए जासूसी कराने के मामले में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। वहीं इस मामले को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्ष दलों ने इस मामले की जांच जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है।
इस बीच विपक्ष दलों के साथ-साथ भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इशारों में अपनी ही मोदी सरकार को घेरा है। स्वामी ने सवाल उठाया है कि 2017-18 में राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग (NSC) का बजट अचानक 10 गुना क्यों बढ़ गया?
शुक्रवार को भाजपा सांसद को एक ट्वीट कर कहा, “आज संसद की लाइब्रेरी में मैंने भारत के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सचिवालय के बजट की जानकारी मांगी। 2014-15 में 44 करोड़ रुपए। 2016-17 में 33 करोड़ रुपए और 2017-18 में 333 करोड़ रुपए। इतना इजाफा क्यों? क्योंकि एक नई चीज जोड़ी गई है- साइबर सिक्यॉरिटी ‘रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ (R&D)। मोदी सरकार के प्रवक्ता को बताना चाहिए कि ये बढ़े हुए 300 करोड़ आखिर गए कहां?”
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मालूम हो मोदी सरकार पर भी पेगासस स्पाईवेयर 2017-18 में ही खरीदने के आरोप लगे हैं। दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तत्कालीन इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू जिस-जिस देश गए, वहां-वहां पेगासस स्पाईवेयर की डील हुई।
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इसी लिहाज से इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरे के बाद जब 2018 में नेतन्याहू भारत आए, तभी उन्होंने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए पेगासस खरीदने का प्रस्ताव दिया।
वहीं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट किया। उन्होंने एक दस्तावेज शेयर करते हुए लिखा, “2016-17 में हृस््र का बजट 33.17 करोड़ रुपए था। अगले साल ये 10 गुना बढ़कर 333 करोड़ रुपए हो गया, क्योंकि 300 करोड़ रुपए साइबर सिक्योरिटी क्र&ष्ठ के नाम पर जोड़ दिए गए। यही वो साल था जब NSO (पेगासस मालवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी) को कई 100 करोड़ रुपए विपक्ष, पत्रकारों, जजों, श्वष्ट और तमाम एक्टिविस्ट की पेगासस के जरिये साइबर हैकिंग करने के लिए दिए गए। वाह!”
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