प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में शासकीय नियमों के विपरीत चल रहे क्रियाकलापों के मुद्दे पर सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एस.पी.गोयल को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी की है. जुबिली पोस्ट ने इसी मुद्दे को दो दिन पहले प्रमुखता से उठाया था.
बृज भूषण शरण सिंह ने सरकार को लिखा है कि 18 जून, 26 जून तथा 30 दिसम्बर 2019 को हुए शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि के.वी.के. पर तैनात वैज्ञानिकों को मुख्यालय पर सम्बद्ध अथवा ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. इन शासनादेशों का अनुपालन आज तक नहीं किया गया. इन शासनादेशों का मखौल उड़ाते हुए कुलपति ने 13 जुलाई 2020 को अलीगढ़ के.वी.के. के डॉ. ए.के.सिंह को मुख्यालय से सम्बद्ध कर अपर निदेशक प्रसार का प्रभार दे दिया गया. जिनकी नियुक्ति / सेवायें कुलाधिपति ने 17 फरवरी 1994 को निरस्त कर दिया था. इसी तरह के.वी.के. मूल के नियुक्ति पाए डॉ. अजय कुमार दुबे को उद्यान विभाग का प्रभारी बना दिया गया. जिनके भ्रष्टाचार की जांच शासन में लंबित है.
सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री से यह शिकायत भी की है कि विश्वविद्यालय ने लम्बे समय सर वित्त उप समिति की बैठक नहीं की है जबकि एक्ट और राजकीय अधिसूचना के अनुसार वित्त उप समिति में ही समस्त प्रकरण जिनमें वित्तीय उपाशय निहित हो, प्रस्तुत होने चाहिए एवं समय से उसकी बैठक होनी चाहिए.
इस पत्र में 21 जून 2000 को हुए शासनादेश के उल्लंघन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया है. इसमें कहा गया है कि शिक्षकों के वेतन, पदनाम या सेवा सम्बन्धी प्रकरणों में विश्वविद्यालय शासन की अनुमति के बगैर कोई परिवर्तन नहीं करेगा लेकिन कुलपति ने इस शासनादेश के बावजूद 13 जुलाई 2020 को नए पद और पदनाम छात्र सलाहकार सृजित कर अपने चहेतों को तैनात कर दिया.
उन्होंने लिखा है कि इस तरह की कई शिकायतें शासन के संज्ञान में हैं लेकिन शान भी कार्यवाही के बजाय कुलपति से ही आख्या मांग लेता है. कुलपति भी सरकार के किसी भी पत्र का स्पष्ट उत्तर नहीं देते. कुलपति के खिलाफ कार्रवाई न होने की वजह से भ्रष्टाचार और अनिमितताओं में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.
सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने सरकार से मांग की है कि प्रबंध मंडल द्वारा 18 जनवरी 2020 को दिए निर्देशों के क्रम में सी.ए.एस. के निर्णय घोषित होने तक 14 जुलाई को मांगे गए आवेदनों को निरस्त किया जाये.
18 फरवरी 20 को हुए शासनादेश से स्पष्ट है कि के.वी.के. वैज्ञानिकों को सी.एस.ए. की सुविधा नहीं है, इसलिए के.वी.के. में किसी भी पद पर नियुक्त या चयनित किसी भी वैज्ञानिक से सीएसए के लिए न तो आवेदन माँगा जाए और न मूल्यांकन कराया जाये क्योंकि वह यूजीसी नियमों के तहत नियुक्त शिक्षक नहीं है.
सांसद ने यह भी लिखा है कि 30 दिसम्बर 19 को हुए शासनादेश के अनुपालन में मुख्यालय पर तैनात 25 के.वी.के. वैज्ञानिकों को तत्काल मुख्यालय से कार्यमुक्त किया जाए. स्पष्ट शासनादेश के बावजूद वर्तमान कुलपति द्वारा 13 जुलाई 2020 को के.वी.के. अलीगढ़ से डॉ. ए.के.सिंह को मुख्यालय सम्बद्ध कर दिया गया. अपर निदेशक प्रसार का प्रभार का सम्बद्धीकरण तथा के.वी.के. में मूलत: नियुक्ति पाए डॉ. अजय कुमार दुबे को दिया गया प्रभारी उद्यान विज्ञान का आदेश तत्काल वापस लिया जाए.
वित्तीय उप समिति की तत्काल बैठक बुलाने और प्रत्येक वित्तीय प्रकरण वित्त उप समिति में रखने के बाद उसे प्रबंध मंडल के सामने रखने को कहा है. कुलपति द्वारा 13 जुलाई को मनमाने तरीके से नए पदनाम पर की गई तैनाती को निरस्त करने की भी मांग की है.
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चन्द्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में कितने शिक्षक और वैज्ञानिक अदालत से सेवा स्टे पर होने के बाद भी उच्च पदों पर प्रमोशन हासिल कर लिए इसकी भी जांच कर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
सांसद बृज भूषण सिंह ने चन्द्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में तैनात शिक्षकों और वैज्ञानिकों के शैक्षणिक पत्रों और नियुक्ति पत्रों के सत्यापन की बात भी कही है. उन्होंने लिखा है कि शैक्षणिक प्रपत्रों को लेकर कई शिकायतें हैं. विश्वविद्यालय में लगभग 150 ऐसे लोग हैं जिन्होंने सहायक प्रोफ़ेसर के लिए प्रत्यावेदन भी नहीं किया लेकिन उन्हें 9000 ग्रेड पे यूजीसी वेतनमान दिया जा रहा है इसकी वजह से सरकार पर हर महीने दो करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आ रहा है. उन्होंने लिखा है कि जाँच में कुलपति, निदेशक प्रशासन या मानीटरिंग शासकीय आदेशों की अवहेलना के दोषी पाए जाएँ तो उनके खिलाफ तत्काल प्रशासनिक और विधिक कार्रवाई की जाए.