सुरेंद्र दुबे
दिल्ली विधानसभा के आए चुनाव परिणाम में कल आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चारों खाने चित कर दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप की जीत को नफरत पर जीत की संज्ञा दी और पूरे देश में संदेश दिया कि अब आने वाले चुनावों में जनता का काम करने वाली पार्टियां ही चुनाव जीतेंगी।
फर्जी राष्ट्रवाद व हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने वाले लोगों के दिन लद गए। ऐसा सोचा जा रहा था कि भाजपा दिल्ली चुनावों से सबक लेकर अपने राजनैतिक एजेंडे में परिवर्तन करेगी। पर ये धारणा 24 घंटे में ही धूल-धूसरित हो गई।
आइए हम सबसे पहले भाजपा के दो चर्चित व वरिष्ठ नेताओं के बयानों का राजनैतिक विश्लेषण करते हैं, जिससे पता चलेगा कि भाजपा वाले नई राजनीतिक परिस्थितियों का इस्तकबाल करेंगे या फिर हम नहीं सुधरेंगे के नारे पर आगे बढ़ते रहेंगे।
पहला बयान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दिया। उन्होंने कहा कि लोग नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वे गजवा-ए-हिंद के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गजवा-ए-हिंद को भारत में लाकर मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हम उनका यह मकसद कामयाब नहीं होने देंगे। दिल्ली की हार पर गिरिराज ने कहा कि अगर चूक ना होती तो हम जीती बाजी हारते नहीं।
देवबंद के देवीकुंड में कल ही महाकालेश्वर ज्ञान मंदिर आश्रम के स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से मिलने आए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह नागरिकता कानून के विरोध में धरना नहीं हैं। लोग देश में खिलाफत आंदोलन कर रहे हैं। शाहीन बाग में शरजील इमाम जैसा पढ़ा लिखा शख्स कह रहा है कि हम भारत से असम को काट देंगे, फिर हम इनको मजबूर करेंगे और इस्लाम स्टेट बनाएंगे।
इससे पहले शाहीन बाग पर निशाना साधते हुए गिरिराज सिंह ने कहा था कि यह शाहीन बाग अब सिर्फ आंदोलन नहीं रह गया है, यहां आत्मघाती हमलावरों का जत्था बनाया जा रहा है। देश की राजधानी में देश के खिलाफ साजिश हो रही है। साथ ही उन्होंने दारुल उलूम को आतंक की गंगोत्री भी कह डाला।
अब आइए हम भाजपा के महासचिव व कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय के ताजा ट्वीट को पढ़े, जिसमें उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल जी को जीत की बधाई। निश्चित ही जो हनुमानजी की शरण में आता है उसे आशीर्वाद मिलता है। अब समय आ गया है कि हनुमान चालीसा का पाठ दिल्ली के सभी विद्यालयों, मदरसों सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में भी जरूरी हो। बजरंगबली की कृपा से अब ‘दिल्लीवासी’ बच्चे क्यों वंचित रहें?’
अब इन दोनों बड़बोले नेताओं के बयानों की भाषा से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर देश को बांटने तथा शाहीन बाग में धरना दे रहे लोगों को राष्ट्रद्रोही बताने के अपने रवैये पर कायम हैं। लोगों को उम्मीद थी कि भाजपा दिल्ली में मिली करारी शिकस्त से सीख लेकर अलगाव वाद के बजाए जनता की भलाई से जुड़े मुद्दों की राजनीति की शुरूआत कर अपनी साख को बचाने की कोशिश करेगी। पर ऐसा नहीं हुआ।
हां केजरीवाल की जीत से प्रेरणा लेकर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार तथा पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने जरूर जनता को किसी हद तक फ्री बिजली देने के एजेंडे पर काम करने की मंशा जाहिर की। मतलब साफ है जिन्हें सुधरना है उन्होंने सुधरने की मंशा जाहिर कर दी है और जो नफरत और अलगाव की राजनीति पर अड़े हैं उन्होंने भी अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर हिंदू राष्ट्र का निर्माण करना ही है। इसलिए वह शाहीन बाग जैसे आंदोलनों को आतंकवादियों का आंदोलन बताने तथा पूरे देश में हिंदू और मुस्लिम के बीच वैमनस्य पैदा करने के एजेंडे से पीछे नहीं हट सकती।
भाजपा के एक बड़े वर्ग का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में मिली भारी जीत इस बात को दर्शाती है कि देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था व 45 वर्षों में सर्वाधिक बेरोजगारी के बाद भी लोग हिंदू मुस्लिम मुद्दे व राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बरसाने को तैयार हैं। ऐसे में भाजपा कम से कम इस वर्ष बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव तक अपने चुनावी प्रचार में दिल्ली की तर्ज पर ही ढोलक बजाती रहेगी। अगर उसे बिहार में भी मुंह की खानी पड़ी तो वह अपने राजनैतिक दर्शन में सुधार करने की कोशिश कर सकती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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