प्रीति सिंह
पूरे भारत में गोरक्षा को एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा बना देने वाली भाजपा , अब अपने ही एक सांसद के बयान से असहज हो गई है। योगी आदित्यनाथ गोरक्षा की बात करते नहीं थक रहे लेकिन भाजपा सांसद विजय सांपला अपनी ही पार्टी को जो हत्यारा बताने में लग गए हैं। और इसकी वजह बन गए हैं अभिनेता सनी देओल।
विजय सांपला का ये गुस्सा टिकट कटाने से उपजा है। गुरदासपुर सीट से सनी देओल को जब भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया तो उसकी कीमत विजय सांपला को चुकानी पड़ी। और यही से सांपला की जुबान इस कदर तीखी हुई कि यह कहा बैठे कि ” बहुत दुःख हुआ , भाजपा ने जो हत्या कर दी है।
सांपला बयान प्रतीकात्मक भले ही हो मगर उसने सीधी चोट पार्टी के एजेंडे पर की है।
टिकटों में फेरबदल के बाद अब बीजेपी नेता अब खुलकर बगावत पर उतर आए हैं। एक दौर में पीएम मोदी और अमित शाह के सम्मान में कसीदें पढऩे वाले अब गंभीर आरोप लगाने लगे हैं। टिकट न मिलने की वजह से नाराजगी जताने वाले बीजेपी नेताओं की फेहरिस्त लम्बी होती जा रहे है। कई नेताओं ने तो टिकट न मिलने की वजह से पार्टी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले, शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और उदित राज अब कांग्रेसी नेता है। इन तीनों नेताओं ने मोदी और शाह पर गंभीर आरोप लगाये थे।
मुरली मनोहर जोशी, इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता, अजय अग्रवाल, सुमित्रा महाजन, केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला जैसे कई नेताओं ने टिकट न मिलने की वजह से अपनी नाराजगी दिखाई थी। इन लोगों ने पार्टी तो नहीं छोड़ी लेकिन मोदी और शाह की फजीहत करने में पीछे नहीं रहे। भाजपा के वरिष्ठï नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने खुद तो टिकट न मिलने पर कुछ नहीं बोले लेकिन उनके पक्ष में बहुत सी दलीले आईं।
भारतीय जनता पार्टी जीत की चाह में ऐसे ही नेताओं पर दांव लगा रही है जो जीत दर्ज कर सके। इसके चलते बीजेपी ने कई दिग्गज नेताओं का टिकट काटने से भी परहेज नहीं किया। इसको लेकर नेताओं का बगावती तेवर भी देखने को मिल रहा है। बीजेपी में आए दिन टिकट न मिलने से नाराज नेता सोशल मीडिया पर मोदी-अमित शाह के खिलाफ बोल रहे हैं। बीजेपी में अभी तक बगावत अंदरखाने थी लेकिन अब नेताओं की बगावत जनता के बीच आ गई है। यह बगावत भाजपा को चुनाव में कितना नुकसान पहुंचायेगी यह तो 23 मई के बाद पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि नेताओं का यह तेवर लोकसभा की उन सीटों के लिए नुकसानदायक होगी जहां से वह प्रतिनिधत्व करते हैं।
विजय सांपला ने बता दिया गो हत्यारा
22 अप्रैल को होशियारपुर लोकसभा सीट से फिर से टिकट नहीं मिलने से नाराज केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला ने कहा कि भाजपा ने ‘गो हत्या’ की है। मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे सांपला ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा, ‘बहुत दुख हुआ भाजपा ने गो हत्या कर दी।’ एक अन्य ट्वीट में दलित नेता ने अपनी साफ-सुथरी छवि प्रस्तुत करने की कोशिश की और पार्टी से पूछा कि उनकी क्या गलती थी और उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया गया।
साबित्री बाई फुले से शुरुआत हुई बगावत की
बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले ने सबसे पहले बगावती तेवर दिखाया था। 6 दिसंबर, 2018 को लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस में सावित्री बाई फुले ने एक ऐलान किया और कहा कि वो बीजेपी से इस्तीफा दे रही हैं और जब तक जीवन रहेगा, वो बीजेपी में वापस नहीं जाएंगी। उन्होंने कहा है कि बीजेपी समाज में बंटवारे की राजनीति कर रही है और मंदिर-मस्जिद का डर दिखाकर आपसी भाईचारे को खत्म करने की कोशिश कर रही है। फिलहाल वह कांग्रेस के टिकट पर अपने संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं।
मुरली मनोहर जोशी ने नहीं माना पार्टी का अनुरोध
बीजेपी के वरिष्ठï नेता मुरली मनोहर जोशी को भी टिकट नहीं मिला। बीजेपी ने बहुत कोशिश की कि वह खुद बोले की वह चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जोशी से बीजेपी के संगठन महासचिव रामलाल ने 25 मार्च को मुलाकात की थी और तब रामलाल ने मुरली मनोहर जोशी से कहा कि पार्टी ने निर्णय लिया है कि आपको चुनाव नहीं लड़वाया जाए। पार्टी चाहती है कि आप पार्टी ऑफिस आकर चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान करें, लेकिन मुरली मनोहर जोशी ने सीधे तौर पर नकार दिया। जोशी ने कहा कि ये पार्टी के संस्कार नहीं हैं, अगर हमें चुनाव ना लड़वाने का फैसला हुआ है तो कम से कम पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को हमें आकर सूचित करना चाहिए। मुरली मनोहर जोशी ने साफ कहा कि वह पार्टी दफ्तर आकर इसकी घोषणा नहीं करेंगे।
शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और उदित राज ने खोला था मोर्चा
टिकट न मिलने से नाराज कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपना दुख व्यक्त कर पीछे हो गए लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और उदित राज ने तो मोदी-शाह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शत्रुघ्न सिन्हा तो लंबे समय से मोदी सरकार के खिलाफ बोलने की वजह से हाशिए पर ढकेल दिए गए थे। हालांकि वह टिकट की घोषणा तक इंतजार करते रहे कि शायद पार्टी उन्हें टिकट दे दें। जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। अब वह अपने संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद को चुनौती दे रहे हैं।
ऐसा ही कुछ दलित नेता उदित राज ने किया। 23 अप्रैल को जब बीजेपी ने उनकी जगह मशहूर सिंगर हंसराज हंस को टिकट दे दिया तो उन्होंने दूसरे दिन कांग्रेस का हाथ थाम लिया। उदित राज को टिकट न मिलने की वजह उनका बगावती तेवर ही माना जा रहा है। वह कई बार मोदी सरकार के खिलाफ बोल चुके हैं।
कीर्ति आजाद का मामला थोड़ा अलग है। उन्होंने दिल्ली क्रिकेट ऐसोसिएशन में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था और अरूण जेटली पर तीखे आरोप लगाए थे । जेटली और कीर्ति में तनातनी बढऩे पर शाह ने उन्हें चुप रहने को कहा। जब उनकी नहीं सुनी गई तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
इसके अलावा इलाहाबाद के सांसद श्यामा चरण गुप्ता टिकट न मिलने की वजह से सपा का दामन थाम लिए और बांदा से चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने ने भी पहले ही संकेत दे दिए थे कि टिकट नहीं मिला तो बीजेपी छोड़ देंगे।
अजय अग्रवाल ने मोदी पर लगाया था गंभीर आरोप
भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने टिकट न मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उन पर एहसान फरामोशी का आरोप लगाया था। अग्रवाल ने पत्र में दावा करते हुए लिखा है कि निष्पक्ष चुनाव होंगे तो आप जो 400 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं, उसकी जगह देशभर में सिर्फ 40 सीटों पर भी सिमट सकते हैं। इसके अलावा पत्र में अजय अग्रवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से अपनी नजदीकी का के साथ गुजरात चुनाव, लालकृष्ण आडवाणी और नोटबंदी के दौरान भ्रष्टाचार का जिक्र किया था। अग्रवाल 2014 लोकसभा चुनाव में रायबेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
सुमित्रा महाजन के खुले पत्र से बीजेपी की हुई थी किरकिरी
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी टिकट न मिलने पर एक पत्र सार्वजनिक कर अपनी नाराजगी जतायी थी। ताई के नाम से मशहूर महाजन ने एक खुला पत्र जारी किया है, जिसमे लिखा है कि ‘भारतीय जनता पार्टी ने आज दिनांक तक इंदौर में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। यह निर्णय की स्थिति क्यों हैं। संभव है की पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है। इस लिए मैं घोषणा करती हूं की मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लडऩा है। अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करें, नि:संकोच होकर करें।
इन के अलावा कई ऐसे नेता है जो टिकट न मिलने का दर्द सार्वजनिक मंच पर साझा नहीं किए लेकिन वह पार्टी के लिए क्षेत्र में गड्ढा खोदने में लगे हुए हैं। ये नेता पार्टी से इतने आहत है कि सार्वजनिक मंच पर बयानबाजी तो नहीं कर रहे हैं लेकिन अपने जानने वालों और क्षेत्र में खुलकर बोल रहे हैं।