जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और शीर्ष अदालत के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कृषि क़ानून के मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि कोई भी क़ानून बनाने से पहले क़ानून के ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में डालकर जनता के सुझावों का 60 दिनों तक इंतज़ार करना ज़रूरी होता है. कृषि क़ानून भी पब्लिक डोमेन में डाला गया होता तो समय पर सुझाव मिल गए होते और क़ानून में इतनी खामियां नहीं होतीं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने कहा है कि भविष्य में सरकार कोई भी क़ानून बनाए तो ड्राफ्ट 60 दिन पहले वेबसाईट पर डाले ताकि लोगों के सुझाव मिल सकें.
कानून बनाने की वर्तमान प्रक्रिया अलोकतांत्रिक ही नहीं बल्कि असंवैधानिक भी है। इसे तत्काल बदलने की जरूरत है @narendramodi @PMOIndia @HMOIndia pic.twitter.com/gZN7vYeZ4S
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniBJP) December 10, 2020
अश्वनी उपाध्याय ने सरकार को बताया है कि कृषि क़ानून बनाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई वह संवैधानिक नहीं है. सरकार करती यह है कि सेक्रेटरी से ड्राफ्ट तैयार करवाकर उसे कैबिनेट के ज़रिये पास करवा लिया जाता है. इससे जनता को जानकारी मिल ही नहीं पाती.
उन्होंने सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को छोड़कर अन्य सभी विषयों का ड्राफ्ट सम्बंधित मंत्रालय की वेबसाईट पर अपलोड किया जाना चाहिए. जनता उस पर अपनी राय देगी और सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव मिल जायेंगे.
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प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उपाध्याय ने कहा कि कई बार मौजूदा क़ानून में ज़रा सा संशोधन कर पुराने क़ानून को ही ठीक किया जा सकता है. जैसे कि धारा 493 में सिर्फ एक वाक्य जोड़ दिया जाए तो लव जेहाद क़ानून की ज़रूरत नहीं पड़ती और धारा 484 में से एक वाक्य हटा लिया जाए तो बहू विवाह सबके लिए अपराध हो जाएगा. इसी तरह से 498-ए में सिर्फ एक वाक्य जोड़ दिया जाए तो तीन तलाक क़ानून की ज़रूरत नहीं होती.