पॉलिटिकल डेस्क
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है और उम्मीदवारों के नामों के एलान का दौर जोर पकड़ चुका है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने 286 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दिया है। इस बार बीजेपी के कई नेताओं ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है, तो कई नेताओं को बीजेपी ने टिकट न देने का फैसला किया है। इसमें सबसे बड़ा नाम लालकृष्ण आडवाणी का है।
आडवाणी युग का अंत
भारत रत्न और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार बाजपेई के बेहद खास बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। तीन बार पार्टी के अध्यक्ष रहे आडवाणी की गांधीनगर सीट से बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया गया है।
आडवाणी 1998 से लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं
हालांकि, यह एक तरह से नैचुरल ट्रांजिशन है। 92 साल के आडवाणी अब उस स्थिति में नहीं है, जो सक्रिय रूप से प्रचार अभियान चला सकें। आडवाणी छह बार गांधीनगर से सांसद रह चुके हैं। सबसे पहली बार वो 1991 में जीते थे। 1996 में पूर्व पीएम अटलजी ने इस सीट से चुनाव लड़ा था। इसके बाद आडवाणी 1998 से लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं।
भाजपा की तीन धरोहर, अटल, आडवाणी मुरली मनोहर
राममंदिर आंदोलन के दौरान लालकृष्ण आडवाणी के साथ मुरली मनोहर जोशी भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे थे। उस वक्त रामभक्तों का नारा था ‘भाजपा की तीन धरोहर, अटल, आडवाणी मुरली मनोहर। यह वह दौर था जब भाजपा सिर्फ इन तीन नेताओं के नाम से ही जानी जाती थी। बीजेपी ने अभी तक मुरली मनोहर जोशी की सीट घोषित नहीं की है। चर्चा ये भी आडवाणी के बाद मुरली का भी टिकट काटा जा सकता है। मुरली मनोहर जोशी वर्ष 1996, 1998, 1999 में इलाहाबाद से सांसद रहे। इसके बाद 2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) के रेवतीरमण से हारे। फिर 2009 में वाराणसी से जीते और 2014 में कानपुर से चुनाव जीते। मुरली दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे।
तीर्थयात्रा पर उमा भारती
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती को पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। पार्टी ने उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही उमा भारती ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर इस बार चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई थी। इसके बाद ही पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। उमा भारती ने बताया कि उनकी मई से 18 माह तक तीर्थयात्रा पर जाने की योजना है। उमा ने कहा था कि उन्होंने 2016 में ही तय कर लिया था कि वह इस बार आम चुनाव चुनाव नहीं लड़ेंगी।
बीजेपी के ‘शत्रु’ ने थामा हाथ
बीजेपी की अटल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा का बिहार के पटना साहिब से का टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह इस बार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद चुनाव लड़ेंगे। अपने आक्रामक और बागी तेवर के वजह चर्चा में रहे शत्रुघ्न कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
शहनवाज हुसैन
बीजेपी की अभी तक घोषित 286 उम्मीदवारों में पार्टी के निर्विवाद चेहरा रहे शहनवाज हुसैन का नाम नहीं है। शहनवाज हुसैन भागलपुर सीट से चुनाव लड़ते हैं। इस बार ये सीट बीजेपी के गठबंधन साथी जेडीयू के खाते में चली गई है। उनकी जगह जेडीयू के अजय कुमार मंडल एनडीए के उम्मीदवार बने हैं, जिसके बाद नाराज शहनवाज ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। पिछले चुनाव में उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा था।
अटल सरकार में वह सबसे युवा कैबिनेट मंत्री
बता दें कि शहनवाज हुसैन ने सीमांचल में पहली बार कमल खिलाया था। 1999 में आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी पीठ ठोकी थी। पार्टी ने उनकी वाक शैली और प्रतिभा को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। साल 1999 में किशनगंज से जीते शाहनवाज को राज्य मंत्री बनाया गया था। उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, युवा मामले और खेल, मानव संसाधन विकास विभाग की जिम्मेदारियां मिली। साल 2001 में कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था। सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन विभाग के साथ एक कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया था। इससे केंद्र की अटल सरकार में वह सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बने। बाद में उन्होंने 2003 से 2004 तक कपड़ा मंत्री के रूप में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
कलराज मिश्र
पूर्व कैबिनट मंत्री ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। कालराज मिश्र संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे। वे उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार बार अध्यक्ष रहे हैं। पार्टी में ब्राह्मण समाज को जोड़ने के साथ ही पूर्वांचल खासतौर पर गाजीपुर और आसपास के जिलों में उनकी गहरी पकड़ रही। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2012 में लखनऊ पूर्वी से विधानसभा चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की। बाद में वर्ष 2014 में उन्हें देवरिया से लोकसभा का टिकट दिया गया। जीत हासिल करने के बाद में वह केंद्रीय मंत्री बने। कलराज 1978 से 1984 और फिर 2001 से लगातार 2012 तक राज्यसभा सांसद रहे।
सुषमा स्वराज
मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य कारणों के चलते लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। हालांकि, सुषमा अन्य उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। सुषमा ने कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें इन्फेक्शन के चलते धूल से दूर रहने की हिदायत दी है। इसलिए वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकतीं, लेकिन वे राजनीति में बनी रहेंगी।
किसी भी राज्य में सबसे युवा मंत्री
चार बार लोकसभा सदस्य और तीन बार राज्यसभा की सदस्य रही सुषमा 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुनीं गईं। वे तीन बार विधायक रहीं। इस दौरान वे राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहीं। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं। सुषमा हरियाणा सरकार में 25 साल की उम्र में मंत्री बनीं। किसी भी राज्य में सबसे युवा मंत्री बनने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। सुषमा 6 राज्यों हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति में सक्रिय रही हैं।