सुरेंद्र दुबे
मध्य प्रदेश में पॉलिटिकल ड्रामा का मध्यांतर तक का सीन समाप्त हो गया। गांधी परिवार के लाड़ले और दुलारे समझे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपाई हो गए। इतनी बड़ी कीमत चुकाने का फिलहाल छोटा सा इनाम भी मिल गया।
भाजपा से राज्यसभा का टिकट मिल गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी दोनों दुखी हैं। सिंधिया को मलाल है कि उनकी सुनी नहीं गई और राहुल गांधी कह रहे हैं कि ज्योतिरादित्य के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले थे।
अब पॉलिटिकल ड्रामे का अगला सीन आना है। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार बचती है कि नहीं। अगर सरकार नहीं बचती है तो इसकी आंच राजस्थान तक भी पहुंचेगी। और अगर सरकार बच जाती है, जिसकी संभावनाएं बहुत कम है तो फिर भाजपा की खुशी अधूरी रह जाएगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 114 में से 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा अध्यक्ष अगर इन्हें स्वीकार कर लेते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 पहुंच जाएगी। वहीं इन विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की संख्या 92 पहुंच जाएगी।
उधर, बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 है। इसमें कुछ विधायकों ने बागी रुख अपना रखा है। चार निर्दलीय, दो बीएसपी, एक एसपी विधायक हैं। ये सभी कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं। इनका समर्थन बना रहा तो कांग्रेस की संख्या 99 पहुंच जाएगी।
अगर बात राज्यसभा चुनाव की करें तो एक सीट जीतने के लिए 52 वोटों की जरूरत होगी। वर्तमान परिस्थिति में बीजेपी आसानी से दो सीट जीत सकती है। कांग्रेस को दूसरी सीट जीतने के लिए 5 वोटों की जरूरत होगी।
अब सारा दारोमदार दो महानुभावो पर है। एक हैं विधानसभा के स्पीकर, जिनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी। ये चाहें तो विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लें और चाहे तो दल बदल कानून के तहत पूरे मामले को उलझा दें। वैसे स्पीकर को निष्पक्ष समझा जाता है। पर भारतीय राजनीति में आजतक कोई भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिसमें स्पीकर ने निष्पक्ष होने का परिचय दिया है।
अंतत: वह वही करता है, जो सत्ता पक्ष चाहता है। तो फिर यह मामला कोर्ट कचहरी भी जरूर जाएगा। ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है। यानी मध्य प्रदेश का पॉलिटिकल ड्रामा अभी कई दिनों तक जारी रहेगा। अर्थव्यवस्था की मार से तिलमिला रहे नागरिकों के लिए यह एक अच्छी फिल्म होगी, जिसमें इमोशन भी होगा और थ्रिल भी होगा।
अब दूसरे महानुभाव जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी, वें होंगे मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन। ये भी लोकतंत्र के नाम पर भाजपा तंत्र को ही ऑब्लाइज करेंगे। राज्यपाल व विधानसभा स्पीकर दोनों ही संवैधानिक पद है जिसपर बैठे महानुभाव इतने असंवैधानिक काम देश भर में कर चुके हैं कि इनको निष्पक्ष कहना सच्चाई से मुंह मोड़ना होगा। जब सब तरफ की मुंडेरे गिर ही रही हैं। तो किसी एक मुंडेर पर भरोसा करना बहुत बुद्धिमानी नहीं होगी। देखते हैं पॉलिटिकल फिल्म का THE END क्या होगा, पर जो भी होगा अप्रत्याशित नहीं होगा।
बहस का सबसे बड़ा विषय यह है कि कांग्रेस आखिर खुद अपनी लुटिया डुबोने में क्यों लगी है। ज्योतिरादित्य की नाराजगी काफी अर्से से चली आ रही थी। सबको मालुम था कि महाराज भाजपा के साथ जोड़ तोड़ बैठाने में जुटे हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उन्हें निपटाने में जुटे हैं। पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के पास इस मामले को सुलटाने के लिए समय ही नहीं था।
फिलहाल तो यह ही नहीं पता है कि कांग्रेस पार्टी को कौन चला रहा है। कुछ लोग कहते हैं कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी को चला रहे हैं। पीछे से राहुल गांधी भी अपनी टांग अड़ाते रहते हैं। पर वह कोई जिम्मेदारी ओढ़ने को तैयारी नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह देश को कांग्रेस मुक्त कर देंगे। पर कांग्रेसी स्वयं देश को कांग्रेस मुक्त करने में लगे हैं।
वैसे भी जिस तेजी से कांग्रेसी भगवा चोला धारण करने में लगे हैं, भाजपा धीरे-धीरे कांग्रेस युक्त होती जा रही है। कांग्रेसियों की तरह तीन तिकड़म से सरकार गिराने या बनाने का शऊर भाजपाईयों ने बखूबी सीख लिया है। फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेसी तोड़ फोड़ करने के बाद कभी कदात झेप भी खा जाते थे। मुंह चुराते घूमते थे। पर भाजपाई इस मामले में ज्यादा दिलेर हैं।
वो पहले से ही कह देते हैं कि ऑपरेशन कमल होने वाला है, जिसका मतलब होता है साम दाम दंड भेद से सरकार गिरा देंगे। भाजपाई यह कहते भी हैं कि कांग्रेस भी यही करती रही है। जनता को यह सब देख दुखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि उसका एक मात्र अधिकार वोट देना है। अब नेता वोट पाकर कहां-कहां चोट करते हैं इस पर ज्यादा माथापच्ची करने के बजाए अगले चुनाव का इंतेजार करना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।)