न्यूज़ डेस्क
नागरिकता संशोधन कानून के तहत बीजेपी आज से जन जागरण अभियान की शुरुआत करने जा रही हैं। इस अभियान की शुरुआत बीजेपी कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा वडोदरा द्वारा के स्वामी नारायण मंदिर ग्राउंड से शाम छह बजे से होगी। यह अभियान करीब 20 दिनों तक चलेगा।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर घमासान पूरे देश में मचा हुआ है। केरल विधानसभा इसके खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है। साथ ही जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं हैं वो भी इसके खिलाफ कमर कस चुके हैं। इन्ही सब वजहों को देखते हुए बीजेपी ने नए साल की शुरुआत में नागरिकता कानून संशोधन को लोगों तक पहुंचाने का एक बड़ा प्लान तैयार किया है।
देशभर में एक हजार रैली
इस अभियान के तहत बीजेपी लोगों के घर-घर जाकर नागरिकता कानून पर बात करेगी। इसके लिए देशभर में एक हजार रैलियों का कार्यक्रम होना भी तय किया गया है। साथ ही करीब 250 प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी। होने वाली प्रत्येक रैली में हर जिले से बुद्धिजीवी को शामिल किया जाएगा।
इसके साथ ही पंचायत और वार्ड स्तर पर बैठकें भी की जाएंगी। बीजेपी के नेता लोगों के बीच जाकर कानून पर बात करेंगे और उनके सवालों व संशयों का जवाब देंगे। बताया जा रहा है कि बीजेपी की इस अभियान के पीछे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति काम कर रही है।
बीते बुधवार बीजेपी कार्यालय में अमित शाह ने जे. पी. नड्डा, भूपेंद्र यादव और बी. एल. संतोष के साथ बैठक की थी। माना जा रहा है इस बैठक में बीजेपी की ओर नागरिकता संशोधन कानून पर चलाए जा रहे कार्यक्रमों की बात हुई थी। बीजेपी इस कानून को लेकर कोई कमी छोड़ना नहीं चाह रही है।
इसलिए बीजेपी के दिग्गज नेताओं सहित कई क्षेत्रों की मशहूर हस्तियां भी, बीजेपी अपने अभियान में शामिल करेगी। आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश, असम और दिल्ली समेत अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
क्या है सीएए?
इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था।
इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर छह साल कर दिया गया है। यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। यानी भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।