न्यूज डेस्क
असम में एनआरसी लागू होने से न तो वहां की जनता खुश हुई और न बीजेपी। 19 लाख लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर कर दिया गया। ये लोग तो डरे-सहमे हैं ही अब बीजेपी भी नागरिक रजिस्टर को लेकर बीजेपी भी परेशान है।
असम के वित्त, स्वास्थ्य एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार नवंबर में संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करेगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान एनआरसी में कई गड़बडिय़ां हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी एनआरसी को स्वीकार नहीं करती और सुप्रीम कोर्ट से इसे खारिज करने को कहेगी।
उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ‘नागरिक संशोधन विधेयक’ दोबारा से पेश किया जाएगा, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों के लिए नागरिकता का प्रावधान होगा।
हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मामले को सुप्रीम कोर्ट में जाने दो और हम कहेंगे कि बीजेपी एनआरसी को खारिज करती है। हम इस एनआरसी में विश्वास नहीं करते। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में दूसरी एनआरसी लागू होगी। आज जो हंस रहे हैं, वे कल जरूर रोएंगे। एक कानून ऐसा भी पारित कराया जाएगा, ताकि जिन्होंने धार्मिक जोर-जबरदस्ती के चलते भारत शरण लेने आए हैं, उन्हें भी नागरिकता दी जाए।”
एनआरसी के बारे में उन्होंने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी को इस पर भरोसा नहीं है क्योंकि जो हम चाहते थे उसके विपरीत हुआ। हम सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे कि भाजपा इस एनआरसी को खारिज करती है। यह असम के लोगों की पहचान का दस्तावेज नहीं है।’
मंत्री ने कहा कि यह सार्वजनिक सभा यहां के लोगों को यह बताने के लिए आयोजित की गई है कि पूर्वोत्तर में स्थानीय लोगों के हितों और मौजूदा कानूनों का संरक्षण किया जाएगा। केंद्र सरकार ने असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के स्थानीय लोगों हितों की सुरक्षा करने वाला विधेयक लाने का फैसला लिया है।
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शर्मा पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के समन्वयक भी हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसा विधेयक लाने का सोचा है, जो असम और पूर्वोत्तर के मूल निवासियों के हितों की रक्षा करे।
शर्मा ने कहा, ‘इसीलिए सरकार इस साल नवंबर में संसद नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेगी, जो बंगाली हिंदू, ईसाई, बौद्ध, सिख और जैन- जो 2014 से पहले देश में आये और भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं, को भारतीय नागरिकता देगा।’
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मालूम हो कि इस साल की शुरुआत में लोकसभा में पेश हुए नागरिकता संशोधन विधेयक का असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में बड़ा विरोध हुआ था, लेकिन यह बिल राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था।
हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए जारी भाजपा के घोषणा पत्र में कहा गया था कि पार्टी की सत्ता वापसी पर बिल को वापस लाया जायेगा।
दोबारा सत्ता में आने के बाद बीजेपी के कई नेता इसे वापस लाने की बात दोहरा चुके हैं। हाल ही में पूर्वोत्तर के दौरे पर गए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन वापस लाया जाएगा।
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