लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होगा। चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे। परिणाम आने वाले दिन क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, लेकिन कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए अभी से जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है।
देश के कई नेताओं को इस बात का डर है कि त्रिशंकु लोकसभा के हालात में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तो कहीं राष्ट्रपति उसे सरकार बनाने के लिए न बुला लें। वहीं, दूसरे ओर बीजेपी आलाकमान अपनी जीत को लेकर आश्वसत दिखाई दे रहें हैं।
आएगा तो मोदी ही
इन दिनों बीजेपी की आईटी सेल से लेकर कार्यकर्ताओं तक हर किसी के जुबान पर ‘आएगा तो मोदी ही’ का नारा है। बीजेपी समर्थक जहां हर मौके और हर बात पर इस नारे को फिट करने में लगे हुए हैं वहीं सियासी पंडित भी यह सोचने में मशगूल हैं कि इसकी वजह क्या है कि ‘आएगा तो मोदी ही।’ वह कौन-सा गणित है जो मोदी और शाह के दिमाग में इतना ज्यादा आत्मविश्वास बनाए हुए है।
सोशल मीडिया पर आगे
2019 के आम चुनाव में ये बात तो तय हो गई है इस बार का चुनाव सोशल मीडिया पर लड़ा जा रहा है। दिल्ली की सत्ता को अपने कब्जे में करने के लिए सभी दल के नेता जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी बयानबाजी कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी और बीजेपी सोशल मीडिया के पिच पर पिछले आम चुनाव में काफी सक्रिय थे।
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बीजेपी ने संगठन के स्तर पर सोशल मीडिया प्रकोष्ठ बनाए हुए हैं। बूथ लैवल तक 5 लोगों की टीम सोशल मीडिया हैंडल कर रही है जबकि कांग्रेस समेत बाकी दल अभी इस मामले में केंद्रीय टीम तक ही सीमित हैं। बीजेपी की आईटी सेल काफी मजबूत है।
बिखरा विपक्ष
चुनाव के शुरूआत होने से पहले जो विपक्ष मोदी के खिलाफ एकजुट दिखाई दे रहा था। चुनाव के अंतिम पड़ाव तक पहुंचने तक बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है। इसका फायदा भी बीजेपी को मिलता दिखाई दे रहा है। साथ ही विपक्ष में किसी एक मजबूत नेता के न होने से बीजेपी इसका फायदा उठा रही है।
जीत का अंतर
इसके अलावा 2014 के चुनाव में 312 सीटें ऐसी थीं जिन पर जीत का अंतर एक लाख से अधिक था। इनमें से 207 सीटें भाजपा ने जीती थीं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने 42 सीटों पर तीन लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
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इसी तरह 75 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को 2 लाख से ज्यादा के मतांतर से जीत हासिल हुई थी। इसके अतिरिक्त 38 सीटों पर डेढ़ लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी और 52 सीटों पर उसे एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत मिली थी। ये सभी सीटें मिलकर 207 बनती हैं जो उसकी कुल सीटों का करीब 75 फीसदी है।
मोदी का चेहरा
बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे करके वोट मांगा था और प्रचंड जीत हासिल की थी। इस बार भी हर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी मोदी के नाम पर वोट मांग रहें है। बीजेपी ने सारा कैम्पेन मोदी के नाम कर दिया है। किसी भी सांसद के लिए निजी तौर पर वोट नहीं मांगे जा रहे। सब मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री का कोई चेहरा नहीं है।
वोट शेयर
बीजेपी के पक्ष में एक और सबसे बड़ी बात है पिछले चुनाव में वोट और सीट शेयर की। 2014 के चुनाव में कुल 55 करोड़ 38 लाख 01 हजार 801 वोट पड़े थे। इसमें से भाजपा को 17 करोड़ 16 लाख 60 हजार 230 वोट मिले थे। इसके विपरीत कांग्रेस को 10 करोड़ 69 लाख 35 हजार 942 वोट मिले थे। इस तरह से भाजपा का वोट शेयर 31 फीसदी था जबकि कांग्रेस का महज 19.31 फीसदी।
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बीजेपी को इसमें 12.20 प्रतिशत का लाभ और कांग्रेस को 9.24 प्रतिशत का नुक्सान हुआ था। बात अगर सीट शेयर की करें तो 2014 के चुनाव में भाजपा का सीट शेयर 51.93 फीसदी था जबकि कांग्रेस महज 8.01 फीसदी पर थी।
यही नहीं बीजेपी के अलावा किसी भी पार्टी का सीट शेयर प्रतिशत दहाई से नीचे था। जाहिर है कि इतनी बड़ी गिरावट को रोकने के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी था जो हुआ नहीं। ऐसे में बीजेपी अगर कह रही है कि आएगा तो मोदी ही तो उसकी एक वजह यह भी है।