न्यूज डेस्क
विधानसभा की 11 सीटों पर होने वाले उप चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे भारतीय जनता पार्टी में हलचल तेज होती जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व हार को मिथक को तोड़ने के लिए विधायकों और मंत्रियों को उपचुनाव में जीत की संभावना प्रबल करने की जिम्मेदारी दी है।
बीजेपी ने हर क्षेत्र में पांच-पांच विधायक और इतने ही संगठन के पदाधिकारी लगाए गए हैं। इनके जरिये बीजेपी जातीय समीकरण साध रही है। गौरतलब है कि पहले से ही हर क्षेत्र में एक मंत्री और एक प्रदेश पदाधिकारी को चुनावी तैयारी की जिम्मेदारी दी गई है।
पिछड़ी जाति के फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाये जाने से रिक्त हुई मऊ जिले की घोसी सीट पर बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के ही विजय राजभर को मैदान में उतारा है लेकिन चुनाव जीतने के लिए दूसरे वर्गो को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
घोसी का प्रभारी पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल को बनाया गया है। राज्यमंत्री आनन्द शुक्ल (ब्राह्मण), विधायक डा. अवधेश सिंह (भूमिहार), संजय यादव (अहीर), ज्ञानेंद्र सिंह (कुर्मी), धनंजय कन्नौजिया (धोबी), श्रीराम सोनकर (खटिक) को घोसी का लक्ष्य दिया गया है। यह सोशल इंजीनियरिंग सिर्फ घोसी में ही नहीं बल्कि सभी उप चुनाव वाले क्षेत्रों में अपनाई गई है।
आपको बता दें कि जिन 11 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं उनमें 2017 में बीजेपी नौ सीटें जीती थी जबकि रामपुर में सपा और अंबेडकरनगर के जलालपुर में बसपा का परचम फहराया था। रामपुर और जलालपुर को भाजपा ने प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है।
अब रामपुर में विधायक देवेंद्र लोधी, डा. डीसी वर्मा, बहोरन लाल मौर्य, सरोजिनी अग्रवाल और संजय शर्मा जबकि जलालपुर में विधायक संगीता यादव, रवि सोनकर, रामचंद्र यादव और राजेश गौतम को भेजा गया है। यहां तक कि सहयोगी अपना दल एस के खाते में छोड़ी गई प्रतापगढ़ सीट के लिए भी भाजपा ने बिसात बिछा दी है।
दूसरी ओर विपक्ष भी उपचुनाव में उलटफेर करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। हमीरपुर सीट पर उपचुनाव में दूसरे स्थान पर रही समाजवादी पार्टी अधिक उत्साह में है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही प्रचार में न उतर रहें हो परंतु प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल व रामगोविंद चौधरी के साथ क्षेत्रीय जरूरत के अनुसार नेताओं को भेजा जा रहा है।
वहीं, बसपा प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली और मंडल कोआर्डिनेटरों के भरोसे है। कांग्रेस की ओर से नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू रणनीति तैयार करने में जुटे है।
सपा का फोकस रामपुर के अलावा जलालपुर सीट पर अधिक है। मऊ की घोसी सीट पर सपा के उम्मीदवार सुधाकर सिंह को साइकिल चुनाव निशान नहीं मिलने के कारण मुश्किलें आ रही है। हालांकि सुधाकर निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। उनकी मदद में पूर्वाचल के वरिष्ठ नेताओं को लगाया गया है।
बसपा पहली बार उपचुनाव में उतरी है। हमीरपुर में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने से बसपा के खेमे में मायूसी है परंतु जलालपुर सीट से अधिक उम्मीद लगाए है। यह सीट बसपा के कब्जे में थी इसलिए सीट बचाने को पार्टी पूरी ताकत लगाए है।
अलीगढ़ जिले की इगलास सीट पर भी बसपा की निगाहें है। यह सीट सपा ने रालोद के लिए छोड़ दी थी परंतु उनके प्रत्याशी का नामांकन निरस्त हो जाने से यहां सपा की साइकिल दिखाई नहीं दे रही। सपा की अनुपस्थिति शुभ मान रही बसपा को उलटफेर की उम्मीद है। रामपुर में भी बसपा को दलित मुस्लिम समीकरण मजबूत बनता दिख रहा है।