मल्लिका दूबे
गोरखपुर। यूपी के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से मिल रही कड़ी चुनौती से पार पाने को बीजेपी के टारगेट पर दलित वोट बैंक है। यादव-मुस्लिम और दलित वोटरों की जुटान से परेशान भाजपा अंतिम के दो चरणों के चुनाव में नयी रणनीतिक तैयारी से ग्राउंड रिपोर्ट अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है। सपा के वोट बैंक यादव-मुस्लिम को तोड़ पाना नामुमकिन जान भाजपा के चाणक्य ने दलित वोट बैंक में सेंधमारी का खास फार्मूला बनाया है। इस फार्मूले को अमली जामा पहनाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सबको आजमाया जाएगा।
हजार दलित वोटरों पर एक खास कार्यकर्ता
बीजेपी ने उन इलाकों के मतदाताओं की अलग से लिस्टिंग करायी है जहां दलित बिरादरी के लोग अधिक हैं। परंपरागत तौर पर दलित खासकर, जाटव बसपा के वोट बैंक माने जाते हैं। ऐसे संसदीय क्षेत्रों में जहां बसपा की बजाय सपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ा जा रहा है, बीजेपी का फोकस दलित वोट बैंक में सेंधमारी पर है। इसके लिए हजार दलित वोटरों की शार्टलिस्टिंग कर उन्हें भाजपा के पक्ष में डायवर्ट करने के लिए पार्टी के एक खास कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गयी है।
बीजेपी के अंदरखाने से छनकर आयी जानकारी पर गौर करें तो पिछले दिनों गोरखपुर में 13 संसदीय क्षेत्रों की समीक्षा करते हुए पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस पर अपनी रणनीति बैठक में मौजूद रहे पदाधिकारियों से साझा की। दलित वोटरों को रिझाने के लिए लगाये गये कार्यकर्ता का हरहाल में और हर स्तर पर, हर तरीके से सहयोग का निर्देश पार्टी के प्रमुख नेताओं और पदाधिकारियों को दिया गया है।
हर संभव तरीके का होगा इस्तेमाल
दलित वोटरों को रिझाने के लिए जिन बीजेपी कार्यकर्ताओं को लगाया गया है, उन्हें हर संभव तरीकों का इस्तेमाल करने की हिदायत दी गयी है। यानी जो जिस तरह से माने, उसे उसी तरह से ट्रीट किया जाएगा। हर तरीके की आजमाइश के लिए दलित वोटरों पर फोकस कर लगाए गए कार्यकर्ता को अनआफिशियली लेकिन प्रैक्टिकली काफी पावर दिया गया है।
गठबंधन से मिल रही है तगड़ी चुनौती
पूर्वांचल में मोदी लहर के बूते पिछले चुनाव में प्रचंड प्रदर्शनी करने वाली बीजेपी को सपा-बसपा के गठबंधन से तगड़ी चुनौती मिल रही है। दोनों ही पार्टियों को जातीय आधार पर फिक्स वोट बैंक वाला माना जाता है। इस चुनाव में बीजेपी के रणनीतिकार यह मान रहे हैं कि सपा के परंपरागत वोटर अखिलेश यादव के पक्ष में अधिक लामबंद हुए हैं। ऐसे में पार्टी बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी के प्लान को कामयाब करना चाहती है। यह प्लान उन सीटों के लिए खासतौर पर बनाया गया है जहां बसपा के सिम्बल की बजाय सपा सिम्बल पर गठबंधन के प्रत्याशी हैं। इसके पीछे की मंशा यह है कि जहां ईवीएम पर हाथी सिम्बल वाला बटन नहीं होगा, वहां बसपा के परंपरागत मतदाताओं को चुनावी तरीकों से रिझाना आसान होगा।
उप चुनावों में सपा के पक्ष में शिफ्ट हुआ था बसपा का वोट बैंक
गोरखपुर, फूलपुर के लोकसभा उप चुनाव में बसपा ने सपा को न केवल सपोर्ट किया था बल्कि चुनावी मैदान में अपने काडर के पदाधिकारियों को मुस्तैदी से लगाया था। बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर काडर के पदाधिकारियों ने दलित बस्तियों में पहुंचकर ‘बहन’ के इस संदेश को पहुंचाया था कि वोट सपा को देना है।
उप चुनाव के परिणामों ने यह साबित भी किया बसपा का वोट बैंक सपा के पक्ष में शिफ्ट हुआ था। अब जबकि वर्तमान चुनावों में सपा और बसपा मिलकर चुनाव मैदान में हैं, बीजेपी की चिंता उप चुनाव के परिणामों ने बढ़ा रखी है। ऐसे में पूरी कोशिश है कि अब तक सिर्फ बहनजी की हिदायत पर चलते रहे बसपाई वोट बैंक को सपा के पक्ष में पूरी तरह शिफ्ट होने से रोका जाए। बसपाई वोट बैंक की शिफ्टिंग रोकने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नयी प्लानिंग ‘हजार दलित वोटरों पर एक भाजपा कार्यकर्ता’ पर काम हो रहा है।