मल्लिका दूबे
गोरखपुर। भोजपुरी, हिन्दी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके रवि किशन शुक्ला का नाम उनकी खास संवाद अदायगी के लिए भी जाना जाता है। उनके दो डायलाग बहुत फेमस हैं। पहला, ‘जिंदगी झण्ड बा, फिर भी घमण्ड बा” और दूसरा वह जो वह बिग बास में बतौर कंटेस्टेंट रटा करते थे-‘अद्भुत, अद्भुताय”।
अब जबकि वह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा वाली गोरखपुर संसदीय सीट से बीजेपी के प्रत्याशी हो गये हैं तो उनके बहुचर्चित दोनों संवादों का विरोधाभास भी कसौटी पर होगा। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जौनपुर में पिछले चुनाव में मिले ‘झण्ड” के अनुभव से वह इस चुनाव में परिणाम को कैसे अद्भुत और अद्भुताय में तब्दील करेंगे।
चुनाव का पहला अनुभव ‘झण्ड” रहा रवि किशन के लिए
रवि किशन शुक्ला लोकसभा चुनाव के जंग एक मैदान में दूसरी बार उतर रहे हैं। उनका पहला अनुभव बेहद खारा रहा है। 2014 में वह कांग्रेस का हाथ पकड़कर अपने गृहक्षेत्र जौनपुर से चुनाव लड़े थे। प्रचंड मोदी लहर में महज 42759 वोट पाकर वह न केवल छठवें स्थान पर थे बल्कि जमानत भी गंवा बैठे थे। राजनीतिक माहौल को भांपते हुए 2017 में वह बीजेपी में शामिल हो गये।
करीब एक साल से उनकी राजनीतिक महात्वाकांक्षा समय-समय पर उनके बयानों में सामने आ जाती थी। गोरखपुर से चुनाव लड़ने की इच्छा वह इन शब्दों में जता चुके थे, बाबा (योगी आदित्यनाथ) का आशीर्वाद मिला तो गोरखपुर की जनता की सेवा करूंगा।
उप चुनाव का जख्म कैसे भरेंगे रवि किशन
गोरखपुर से बीजेपी का टिकट पाने के लिए कतार में लगे तमाम नेताओं पर माथापच्ची करने के बाद रवि किशन शुक्ला का नाम अंतत: तय तो हो गया है लेकिन इस सीट पर उपचुनाव में मिला जख्म कैसे भरा जाएगा, यह सवाल कायम है।
सपा-बसपा गठबंधन से निषाद प्रत्याशी होने से सर्वाधिक वोटरों वाला निषाद समुदाय बीजेपी के ब्रााह्मण प्रत्याशी को वोट क्यों करेगा, यह भी प्रश्नवाचक संज्ञा में है। यह तर्क दिया जा सकता है कि निषादों के नाम पर बनी निषाद पार्टी अब बीजेपी के साथ है लेकिन इस पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद अपने बेटे प्रवीण निषाद के लिए संतकबीरनगर में माथापच्ची करेंगे या गोरखपुर?
गौरतलब है कि गोरखपुर से सपा के टिकट पर उप चुनाव जीते प्रवीण निषाद को बीजेपी ने बगल की सीट संतकबीरनगर में टिकट दिया है। बीजेपी टिकट की ही आस में सपा छोड़ भाजपा में आए पूर्व मंत्री जमुना निषाद के बेटे अमरेंद्र निषाद नए सियासी हालात में बीजेपी के लिए अपनी बिरादरी को जुटाएंगे?
मोदी योगी के भरोसे अद्भुत परिणाम की उम्मीद
इन तमाम सवालों के बीच रवि किशन शुक्ला की पूरी उम्मीद मोदी और योगी के नाम पर है। राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीक नजर रखने वाले यह मानते हैं कि वर्ष 2014 के चुनाव की दुदुम्भी बजने के साथ ही यूपी में एक नया वोट बैंक तैयार हुआ है, मोदी वोट बैंक।
मतलब यह कि वोटरों का एक तबका ऐसा है जो पार्टियों से इतर परसेप्शन और इमेज के आधार पर मोदी को ही अपनी पार्टी समझता है। ऐसे में प्रत्याशी कोई भी हो, उसका वोट मोदी के नाम पर ही पड़ेगा। ऐसा माना जाता है यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में भी मोदी वोट बैंक का बड़ा हाथ रहा है।
अब अगर इस चुनाव में भी इस वोट बैंक में दम रहा तो रवि किशन की गोरखपुर में चुनौती कुछ कम हो सकती है। चुनौती का सामना करने में उन्हें मदद योगी के अपने काडर से भी मिल सकती है। यह सब जानते हैं कि बीजेपी के संगठन से इतर गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का अपना अलग काडर भी है, हिन्दू युवा वाहिनी के रूप में।
जन सामान्य में यह चर्चा आम है कि उप चुनाव में हिन्दू युवा वाहिनी उदासीन भूमिका में थी जबकि योगी आदित्यनाथ के अपने चुनाव में बूथ स्तर तक वास्तविक कमान इसी वाहिनी के हाथ होती थी। इस चुनाव में सीधे तौर पर गोरखपुर में योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है इसलिए योगी की अगुवाई में हिन्दू युवा वाहिनी की सक्रियता उसी स्तर पर नजर आ सकती है जैसे योगी के चुनावों में दिखती थी।