जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने जीत की हैट्रिक लगायी थी। हालांकि बीजेपी ने इस विधान सभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन थोड़ा पीछे जाये तो बीजेपी ने इस चुनावी दंगल में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
इतना ही नहीं बीजेपी तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी पार्टी में जगह दी थी लेकिन ये नेता चुनावी दंगल में कोई खास कमाल नहीं कर सके। इसका नतीजा यह रहा कि ममता बनर्जी ने तीसरी बार सत्ता में लौटी है।
हालांकि अब बीजेपी के कुनबे में दरार साफ देखी जा सकती है। बीजेपी के कई नेता तृणमूल कांग्रेस में दोबारा वापसी करना चाहते हैं।
इसका ताजा उदाहरण तब और मिला मंगलवार को कोलकाता में हुए पार्टी की बैठक में पार्टी के कई नेता नदारद रहे। इस बैठक में मुकुल रॉय, शामिक भट्टाचार्य और राजीव बनर्जी नहीं पहुंचे। इसके बीच कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी के कई नेता टीएमसी के संपर्क में हैं और वहां पर दोबारा वापसी के रास्ते तलाश रहे हैं। मुकुल रॉय, शामिक भट्टाचार्य और राजीव बनर्जी नहीं पहुंचे।
इस बीच नेताओं के बैठक में नहीं पहुंचने को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने सफाई देते हुए कहा कि इस बैठक में पार्टी के नेताओं की अनुपस्थिति चिंता का विषय नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुकुल रॉय की पत्नी की तबीयत खराब है। वहीं प्रवक्ता शामिक भट्टाचार्य के पिता का निधन हो गया है। साथ ही राजीव बनर्जी कुछ निजी कारणों से बैठक में नहीं आए हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेता राजीव बनर्जी ने पार्टी की प्रमुख बैठक से नदारद रहे। उनका एक ट्वीट भी तेजी से वायरल हो रहा है।
इस ट्वीट में कहा है कि राजीव बनर्जी ने ट्वीट कर लिखा कि ने ट्वीट किया, ‘यदि जनता के समर्थन से चुनी गई सरकार (ममता बनर्जी सरकार) का महज विरोध करने के लिए दिल्ली और अनुच्छेद 356 की धमकियों का इस्तेमाल किया जाता है। तो इसे जनता पसंद नहीं करेगी। हमें राजनीति से ऊपर उठकर बंगाल की जनता के साथ रहना चाहिए, जो कोरोना और यास से तबाह हो गए हैं।
शुभेन्दु अधिकारी कद बढऩे से नाराज है कई नेता
चुनाव के दौरान टीएमसी के कुनबे में हलचल मच गई थी जब कई नेताओं ने ममता का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था लेकिन चुनावी दंगल में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है।
इतना ही पार्टी के कई बड़े नेता शुभेन्दु अधिकारी के कद बढऩे से काफी नाराज चल रहे हैं। शुभेन्दु अधिकारी के पार्टी में आने के बाद से पार्टी नेतृत्व अधिकारी को अधिक तरजीह देते हुए दिख रही है। इस वजह से मुकुल रॉय जैसे नेताओं को उतनी तरजीह नहीं दी गई है।