जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले एक साल से ज्यादा समय से शांत जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती नजरबंदी से रिहा होने के बाद से आक्रामक हो गई हैं। वह लगातार बयान दे रही है केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रही है।
महबूबा मुफ्ती के बयान की वजह से जम्मू-कश्मीर का सियासी पारा बढ़ गया है। मुफ्ती ने बीते दिनों कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाएंगी। उनके इस बयान का भारी विरोध हो रहा है।
24 अक्टूबर को पीडीपी प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लडऩे और तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
उनके इस बयान के बाद जम्मू में शनिवार को भारी विरोध हुआ। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने पीडीपी कार्यालय में तिरंगा फहराया और महबूबा के खिलाफ नारेबाजी की। इतना ही नहीं मुफ्ती के बयान की केंद्र सरकार के मंत्रियों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तीखी आलोचना की है।
आक्रामक हुई बीजेपी
पिछले एक साल से शांत बैठी बीजेपी को भी मौका मिल गया और वह मुफ्ती के बयान पर आक्रामक रवैया अपनाते हुए विरोध तेज कर दिया है।
सोमवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनके दिए बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर स्थित लाल चौक पर तिरंगा फहराने की कोशिश की। जहां पुलिस ने बीजेपी के चार कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के कुछ अन्य शहर में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
बीजेपी आज से ही जम्मू-कश्मीर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है। मुफ्ती के खिलाफ बीजेपी के नेताओं ने तेवर कड़े करते हुए कहा है कि उन्होंने “देशद्रोही” बयान दिया और उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने पत्रकारों से कहा, “मैं उप राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वह महबूबा मुफ्ती के देशद्रोही बयान का संज्ञान लें और उन्हें सलाखों के पीछे डालें।”
इतना ही नहीं भाजपा ने चुनाव आयोग से महबूबा की अगुवाई वाली पीडीपी की मान्यता खत्म करने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि महबूबा ने राष्ट्र विरोधी और संविधान विरोधी बयान दिया है और इस वजह से उनकी पार्टी की मान्यता रद्द होनी चाहिए।
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बीजेपी नेता अश्विनी कुमार ने चुनाव आयोग से यह शिकायत की है। उनका आरोप है कि पीडीपी की अध्यक्ष ने संसद, राष्ट्रीय ध्वज और देश के प्रतीकों के बारे में विवादित बयान दिए।
मालूम हो कि जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों ने पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा बहाल कराने और इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों से बातचीत के लिए 15 अक्टूबर को “पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डेक्लेरेशन” का गठन किया है। इसमें एनसी और पीडीपी के अलावा सीपीआई(एम), पीपल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), जेकेपीएम और एएनसी शामिल हैं।