Tuesday - 29 October 2024 - 4:29 AM

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव पर शाह-सोनिया की नजर

न्‍यूज डेस्‍क

आगामी तीन राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस साल के आखिरी में झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव को अमित शाह के नेतृत्व में ही लड़ने का फैसला किया है।

माना जा रहा है कि ये तीनों राज्य बीजेपी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। सूत्रो की माने तो इसी वजह से बीजेपी ने किसी प्रयोग से बचते हुए अमित शाह के अगुवाई में आगे बढ़ने का फैसला किया। इसके साथ ही ये बात भी साफ हो गई है कि बीजेपी को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही मिलने वाला है।

गौरतलब है कि अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने लोकसभा में प्रचंड जीत दर्ज कराते हुए 303 सीटें पाई हैं। अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। नए अध्यक्ष और पूरे देश में संगठन के चुनाव के लिए बीजेपी ने राधा मोहन सिंह के नेतृत्व में चुनाव समिति का गठन कर दिया है।

लेकिन पूरे देशभर में संगठन के चुनाव में देरी की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 15 दिसंबर के बाद ही संभव होने की गुंजाइश है। जो कार्यक्रम तय किया गया है उसके मुताबिक संगठन चुनाव की प्रक्रिया 11 सितंबर से शुरू की जाएगी। 11 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच मंडल स्तर के अध्यक्ष का चुनाव सम्पन्न कराया जाएगा, जबकि 1 से 15 दिसंबर तक प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव कराए जाएंगे।

स्थानीय और राज्य के स्तर पर संगठन के चुनाव सम्पन्न होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा जिसकी प्रक्रिया भी तकरीबन 15 दिन से 1 महीने तक चल सकती है। यानी अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बीजेपी को 15 दिसंबर के बाद मिलने वाला है।

दूसरी ओर सोनिया गांधी के कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में अगले छह माह में चुनाव होने हैं। इनमें भाजपा की सरकारें है। लेकिन पार्टी नेताओं को यकीन है कि सोनिया के नेतृत्व में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी।

बताते चले कि दो नवंबर को हरियाणा, 11 नवंबर को महाराष्ट्र और 5 जनवरी 2020 को झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान पार्टी के युवा और बुजुर्ग नेताओं की बीच मतभेद बढ़े हैं। इसे दूर करते हुए आपसी तालमेल बैठाना कांग्रेस अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा

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