न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में प्रंचड जीत के बाद नरेंद्र मोदी 30 मई को प्रधानमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ग्रहण करेंगे। इस बार पीएम मोदी का शपथ ग्रहण 2014 के शपथ ग्रहण समारोह से थोड़ा अलगा होगा।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी के इस शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक (BIMSTEC) के सभी प्रमुख नेता शामिल होंगे। भारत ने इन राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रित किया है।
MEA: Government of India has invited the leaders of the BIMSTEC Member States for the Swearing-in ceremony on May 30. This is in line with Government’s focus on its ‘Neighbourhood First’ policy. pic.twitter.com/588hLOMjyA
— ANI (@ANI) May 27, 2019
मोदी का मकसद पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देना है। हालांकि, इस बार पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया है। जानकारों की माने तो मोदी सरकार के इस कूटनीतिक कदम से पाकिस्तान को कड़ा संदेश जाएगा।
संदेश यह है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता है, तब तक उसके साथ रिश्तों में कोई गतिशीलता देखने को नहीं मिलेगी।
विदेश मंत्रालय ने बिम्सटेक देश के नेताओं को आमंत्रण की सूचना साझा करते हुए बताया कि सरकार ने यह कदम ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत उठाया है।
इस बार शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक सदस्य देश शामिल होंगे। बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, भूटान और भारत बिम्सटेक के सदस्य देश हैं।
पिछली बार 2014 में जब मोदी ने शपथ ली थी तो उस समारोह में सार्क सदस्य देशों के प्रमुख शामिल हुए थे। इस बार बिम्सेटक देशों के नेता इसमें शामिल होंगे।
राष्ट्रपति 30 मई को शाम 7 बजे प्रधानमंत्री और केंद्रीय कैबिनेट के अन्य सदस्यों को राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। साथ ही, मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों को भी पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी।
क्या है बिम्सटेक
बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकॉनमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC) बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीप देशों का एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है। इसमें बांग्लादेश, भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड जैसे 7 देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में है।
महत्वपूर्ण क्यों
BIMSTEC दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी देशों के बीच की दूरी कम करता है। संगठन में शामिल सभी देशों के बीच यह ब्रिज की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिणपूर्वी एशिया के हैं। म्यांमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण पूर्वी इलाकों से जोड़ने के लिए बेहद अहम है। इससे भारत के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि शपथ ग्रहण समारोह में विश्व के कुछ नेता भी शरीक होंगे या नहीं। दरअसल, 2014 के शपथ ग्रहण के दौरान मोदी ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित दक्षेस देशों के नेताओं को आमंत्रित किया था। उस समारोह में विदेशी गणमान्य लोगों सहित करीब 2,000 लोगों को आमंत्रित किया गया था।
इस लोकसभा चुनाव में मोदी की प्रचंड जीत पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई वैश्विक नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने भाजपा और राजग संसदीय दल का सर्वसम्मति से नेता चुने गए नरेन्द्र मोदी को शनिवार को प्रधानमंत्री नामित करते हुए केंद्र में नयी सरकार बनाने का न्यौता दिया था।
जानें BIMSTEC के बारे में ये महत्वपूर्ण बातें..
- BIMSTEC का पूरा नाम ‘बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन’ है
- BIMSTEC की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा पत्र के माध्यम से हुई थी
- BIMSTEC बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है
- इसे आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए बनाया गया है
- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड इस संगठन में शामिल हैं
- SAARC के पांच देश -बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका इस संगठन में शामिल हैं
- BIMSTEC कुल 14 क्षेत्रों व्यापार-निवेश, ऊर्जा, परिवहन-संचार, तकनीक, पर्यटन, कृषि, स्वास्थ्य, मछली पालन, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, जन संवाद, संस्कृति और गरीबी निवारण में काम करता है