जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले को खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब दोषियों को फिर से जेल जाना होगा।
बता दे कि मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है। अब दोषियों को फिर से इस मामले में सजा में माफी की अपील को दायर करना होगा।
कोर्ट को किया गया गुमराह
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हम मानते हैं कि गुजरात के पास दोषियों के मामले में छूट के आदेश पारित करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था। शीर्ष अदालत ने कहा कि दोषियों की रिहाई के समय तथ्यों को छुपाया था। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यह महाराष्ट्र राज्य था जो केवल छूट के आदेश पारित कर सकता था। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 3 ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष गुप्त रूप से याचिका दायर की थी।
इस अदालत के 13 मई के आदेश का लाभ उठाते हुए .. अन्य दोषियों ने भी माफी आवेदन दायर किए। इसके बाद गुजरात सरकार ने सजा माफी के आदेश पारित किए। गुजरात इस मामले में भागीदार था और उसने प्रतिवादी संख्या 3 (दोषी) के साथ मिलकर काम किया। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि तथ्यों को छुपाकर इस अदालत को गुमराह किया गया।
फिर से करना होगा माफी का आवेदन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को अब महाराष्ट्र सरकार के पास रिहाई के लिए आवेदन करना होगा। यदि महाराष्ट्र में ऐसा नियम होगा कि 14 साल की सजा के बाद दोषियों को रिहा किया जा सकता है तो राज्य सरकार इस संबंध में फैसला ले सकती है। यदि ऐसा कोई समय पूर्व रिहाई का कानून नहीं होता है तो इस आवेदन का मतलब नहीं बनता है। यदि 20 से 25 साल की सजा काटने के बाद भी रिहाई का कानून है तो सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से टिप्पणियां की हैं, उसके बाद तुरंत रिहाई तो संभव नहीं लगती है।