जुबिली स्पेशल डेस्क
बिलकिस बानो केस में तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल तीन दोषियों को समर्पण करना था लेकिन अब समर्पण की अवधि बढ़ाने की अपील की है। उनके अनुसार कुछ व्यक्तिगत कारणों की वजह से तीनों दोषियों ने समर्पण की अवधि बढ़ाने के लिए कोर्ट से अपील की है।
बता दे गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 08 जनवरी 2024 को अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने का फैसला किया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा था।
ये था पूरा मामला
गुजरात दंगों के दौरान बचकर भाग रही बिलकिस और उनके परिवार पर 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकीस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। हथियारों से लैस दंगाइयों ने बिलकिस बानो का गैंगरेप किया। इतना ही नहीं उनकी 2 साल की बच्ची को मार दिया गया।
बिलकिस बानो के परिवार के कुल 14 लोगों को उस दिन मौत के घाट उतार दिया गया था। इंसाफ के लिए बिलकिस ने कई कोर्ट के दरवाजे खटखटाए। अंत में 17 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में यह फैसला सुनाया है।
SC ने केस को मुंबई में किया ट्रांसफर
इस मामले की शुरुआती जांच अहमदाबाद में शुरू हुई। सीबीआई ने 19 अप्रैल 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद बिलकिस ने यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो की मांग पर 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। यूडी साल्वी की विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को दिए अपने फैसले में बिलकीस के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था।