जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में एक बार फिर सियासी पारा बढ़ गया है। इस बार पारा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की वजह से बढ़ा है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने पिछले दिनों महागठबंधन से अलग हो गए थे। अब वह एनडीए में शामिल हो गए हैं। उनके एनडीए में शामिल होते ही सियासी बिहार में सियासी बाजार गरम हो गया है। उनके एनडीए में शामिल होने का विरोध उनकी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने किया है।
इसके अलावा मांझी के एनडीए में शामिल होने से लोक जनशक्ति पार्टी की भी नाराजगी बढ़ गई है। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के भी तेवर गरम है। ऐसा कहा जा रहा है कि जेडीयू के खिलाफ लोजपा अपने उम्मीदवार खड़ी कर सकती है।
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मांझी के कदम की प्रदेश अध्यक्ष ने की आलोचना
हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी के एनडीए में शामिल होने का ‘हम’ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र प्रसाद के अलावा नालंदा सीट से लोकसभा उम्मीदवार रहे अशोक आजाद ने आलोचना की है। फिलहाल पार्टी ने दोनों नेताओं को निष्कासित कर दिया है।
वहीं महागठबंधन इसमें फायदा देख रही है। महागठबंधन का दावा है कि एनडीए में लोजपा के साथ दलित वोट पर अब ‘हम’ की भी दावेदार हो जाएगी। यह शंका ही लोजपा नेताओं के लिए संकट का सबब है। इससे एनडीए की मुश्किल बढ़ेगी और महागठबंधन की राह आसान हो जाएगी।
चिराग के गरम हुए तेवर
मांझी के एनडीए में आते ही लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के तेवर भी गरम हो गए हैं। लोजपा अब इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि विधानसभा चुनाव में वह जदयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे। इसके लिए 7 सितंबर को दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एलजेपी इस बात से नाराज है कि मांझी को एनडीए में शामिल करने से पहले उचित फ्रंट पर बात क्यों नहीं की गई। पार्टी का आरोप है कि जेडीयू का मांझी को एनडीए में शामिल करने का फैसला एकतरफा है।
वहीं अब लोजपा के अगले कदम पर सबकी निगाह बनी हुई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संसदीय बोर्ड की बैठक मेंचिराग पासवान तमाम विषयों पर वरीय नेताओं के साथ मंथन करेंगे। जदयू से लगातार बढ़ती तल्खी के बीच पार्टी की यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
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मांझी के इस कदम पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उनका एनडीए में स्वागत करते हुए कहा कि मांझी जी का महागठबंधन छोडऩा साबित करता है कि जेल से चलने वाली पार्टी दलितों-पिछड़ों का भला नहीं कर सकती। गठबंधन में उनके शामिल होने से और मजबूती मिलेगी।
वहीं एनडीए में शामिल होने के बाद मांझी ने दावा किया कि मुसहर समाज उनके इशारे पर अब मत करने लगा है। ऐसे में मगध प्रमंडल और नेपाल की सीमा से जुड़े सीमांचल के जिलों में बसी मुसहर समाज की बड़ी आबादी पर वे इस बार अपना प्रभाव छोड़ पाएंगे, इसी आशा के साथ वे एनडीए में शामिल हुए हैं। वैसे भी सीमांचल का मुसहर समाज परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर रहा है।