जुबिली स्पेशल डेस्क
पिछले काफी दिनों से बिहार चुनाव की तारीखों को लेकर कयास लगाये जा रहे थे। इतना ही नहीं कोरोना काल में चुनाव टालने की भी बात की जा रही थी, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को बिहार चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में 28 अक्टूबर से सात नवम्बर के बीच होगा। बिहार चुनाव का नतीजा दस नवम्बर को आयेगा।
रोचक बात यह है कि बिहार चुनाव के परिणाम के दिन आईपीएल का खिताबी मुकाबला भी खेला जायेगा। खैर ये बात तो एक अलग है लेकिन बिहार चुनाव करीब आने से नेताओं का पाला बदलने का खेल भी चरम जा पहुंचा है। कुछ ऐसे नेता है जो सत्ता की मलाई काटने के लिए पाला बदलने में समझदारी समझते हैं। जीतन राम मांझी से लेकर नागमणि बिहार की राजनीति में भले ही जाना माना नाम हो लेकिन पाला बदलने में ये दोनों नेताओं का जोड़ नहीं है।
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आलम तो यह है कि अब तक वे आधा दर्जन से अधिक पार्टियों में शामिल हो चुके हैं। जीतन राम मांझी बिहार के पूर्व सीएम रहे हैं लेकिन कई दलों के साथ उनका गठजोड़ रहा है। हालांकि पहले महागठबंधन में होने की बात कही जा रही थी लेकिन अब खबर आ रही है वो एक बार फिर नीतीश के साथ जा सकते हैं। इसके लिए उन्होंने बातचीत शुरू भी कर दी है।
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दलबदल की बानगी में ये नेता एक दूसरे के खिलाफ भी मैदान में उतर जाते हैं। अभी हाल में राष्टï्रीय जनता दल को तब तगड़ा झटका लगा था जब 12 विधायकों ने लालू का साथ छोड़ नीतीश का दामन थाम लिया था। दरअसल लालू के जेल जाने के बाद से तेजस्वी यादव पार्टी को चला रहे हैं लेकिन अन्य नेता उनके सामने असहज नजर आ रहे हैं। इस वजह से राजद से किनारा कर नीतीश के साथ जाने में अपनी भलाई समझ रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा भी रंग बदलते नजर आ रहे हैं। दरअसल अभी तक महागठबंधन के साथ नजर आने वाले राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने तेजस्वी खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी ने जिसे नेतृत्व दिया है, उसके पीछे खड़ा होकर कभी चुनाव जीता नहीं जीता जा सकता है। नेतृत्व ऐसा हो जो नीतीश कुमार के सामने खड़ा हो सके। ऐसे में कहा जा रहा है कि वो भी मौका को समझते हुए महागठबंधन से अलग हो सकते हैं।
बिहार की राजनीतिक को नजदीक देखने वाले वरिष्ठï पत्रकार रतीन्द्र ने बताया कि उपेन्द्र कुशवाहा की राजनीति हैसियत कोई खास नहीं है। इसलिए उनको महागठबंधन तव्वजों नहीं दे रहा है। ऐसे में उन्होंने एक बार फिर पाला बदला है और तेजस्वी के साथ न जाकर नीतीश के साथ जाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिहार में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगे वैसे-वैसे पाला बदलने वालों की लिस्ट बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पैगामे खीर के सहारे पाला बदला था लेकिन वो पूरी तरह से फ्लॉप रहे थे और एक बार फिर एनडीए के साथ जाने की तैयारी में है।
बनते-बिगड़ते गठबंधन, नेताओं का इधर से उधर जाना और चुनावी जीत पक्की करने के लिए बड़ी संख्या में विधायक पाला बदलने को तैयार हैं।
पाला बदलने में प्रमुख चेहरे
- नागमणि सबसे चर्चित चेहरा हैं। अब तक वे आधा दर्जन से अधिक पार्टियों में शामिल हो चुके हैं।
- इसी तरह अपनी पार्टी बना चुके हम सुप्रीमो पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी कई दलों में रह चुके हैं।
- वहीं, नरेन्द्र सिंह, सम्राट चौधरी, भगवान सिंह कुशवाहा, अरुण कुमार, लवली आनंद, महाचंद्र प्रसाद सिंह, रमई राम सहित कई और नेता हैं जो दो से अधिक दलों का दामन थाम चुके हैं।
कब होंगे बिहार में चुनाव?
- मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के मुताबकि बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण में 71 सीटों पर वोटिंग होगी.
- दूसरे चरण के मतदान 3 नवंबर को होंगे, जिसमें में 94 सीटों पर वोटिंग होगी.
- तीसरे चरण के मतदान 7 नवंबर को होंगे, जिसमें में 78 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
- मतगणना यानी चुनावों के परिणामों की घोषणा 10 नवंबर को की जाएगी.