जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। राजनीतिक दल चुनावी बिसात पर अपनी-अपनी गोटी फिट करने में लगे हुए हैं। सबका लक्ष्य है चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना। इसी को लेकर राजनीतिक दलों की जद्दोजहद चल रही है। सीटों के लिए कोई किसी से हाथ छुड़ाने पर आमादा है तो कोई हाथ मिलाने पर। इस बीच महागठबंधन के भविष्य को लेकर भी तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
बिहार में महागठबंधन के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। राजद से अन्य दलों की नाराजगी बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से महागठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दरअसल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानी हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पिछले दिनों के बयान को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।
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हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानी हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का अगला रुख क्या होगा। फिलहाल यह बता पाना बेहद मुश्किल है, लेकिन इतना तय है अपने सहयोगी आरजेडी से खफा जीतन राम मांझी आने वाले कुछ दिनों में अपने फैसले से बिहार की राजनीति में एक नया दांव खेल सकते हैं।
मांझी पिछले साल से ही महागठबंधन में कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन आरजेडी ने माझी की मांग को कोई तवज्जो नहीं दी। फिर मांझी ने 25 जून तक महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की बनाने का अल्टीमेटम दिया, लेकिन इस तारीख तक भी कुछ नहीं हुआ।
मांझी ने जब महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने के लिए 25 जून का अल्टीमेटम दिया था तो कांग्रेस ने मांझी को प्रॉमिस किया था कि एक सप्ताह के भीतर कोआर्डिनेशन कमेटी बना दी जाएगी।
दरअसल 24 जून को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर महागठबंधन की वर्चुअल बैठक बुलाई गई थी, जिसमें घटक दलों ने आरजेडी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी। इसी बैठक में मांझी को कांग्रेस ने आश्वस्त किया था कि 31 जुलाई तक कोआर्डिनेशन कमेटी बना दी जाएगी, लेकिन आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ और ना ही आने वाले समय में कोऑर्डिनेशन कमेटी की किसी तरह की कोई चर्चा होगी ऐसा दिख रहा है।
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महागठबंधन के बैठक के बाद 26 जून को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कांग्रेस ने एक सप्ताह का समय मांगा है अगर समय पर कोआर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी जो भी फैसला लेंगे पार्टी के सभी लोग उस फैसले का के साथ रहेंगे।
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी लगातार यह कहते रहे हैं कि महागठबंधन में शामिल सभी घटकों की बात होनी चाहिए कोई एक पार्टी महागठबंधन के लिए निर्णय नहीं ले सकता। इसलिए जरूरी है कि कोऑर्डिनेशन कमिटी की का निर्माण हो ताकि सभी पार्टियां अपनी अपनी बात वहां रख सके और चुनाव की रणनीति तैयार की जा सके।
सियासी गलियारे में अब यह चर्चा आम हो गई है कि मांझी महागठबंधन छोड़ सकते हैं। हालांकि पार्टी ने अभी तक इन इस तरह की बातों को अफवाह ही बताता आ रहा है। लेकिन मांझी के रुख को देखते हुए अनुमान लगाया लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में वह एक बड़ा फैसला ले सकते हैं।
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री मांझी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। वह यह भी देख रहे हैं कि कोऑर्डिनेशन कमिटी या महागठबंधन को लेकर अन्य घटक दल यानी आरएलएसपी और वीआईपी जैसी पार्टियों का क्या रुख होता है। सूत्रों के मुताबिक 10 जुलाई के बाद जीतन राम मांझी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
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महागठबंधन को लेकर मांझी की यह नाराजगी कोई नहीं है ऐसी बात भी नहीं है। महागठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी के रुख को लेकर कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं। जीतन राम मांझी तो यहां तक कह चुके हैं कि आरजेडी नेता और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव घटक दलों की बात ही नहीं सुनते। उन्होंने यह बात तब कही थी जब गोपालगंज तिहरे हत्याकांड को लेकर आरजेडी ने खूब हल्ला हंगामा किया था।
दरअसल इस कांड में जेडीयू विधायक का नाम सामने आने के बाद आरजेडी ने महागठबंधन में शामिल किसी दल को अपने धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं किया था। तब माझी ने यह कहा था कि तेजस्वी किसी की नहीं सुनते। जाहिर है मांझी की यह नाराजगी उन्हें कोई बड़ा कदम उठाने को मजबूर कर रही है। अब उनका अगला कदम क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।