जुबिली न्यूज डेस्क
आखिरकार 16 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बिहार की चुनावी परिणाम की तस्वीर साफ हो गई। बिहार में एक बार फिर 125 सीटों के साथ एनडीए की सरकार बनेगी।
बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने बिहार में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल हासिल कर लिया। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन से एनडीए को कड़ी टक्कर मिली।
फिलहाल नीतीश कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की रास्ता साफ हो गया है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जदयू को पिछले चुनाव जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था।
राजद सिंगल लार्जेस्ट पार्टी
इस बार बिहार में राष्ट्रीय जनता दल 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरी है। मतगणना के शुरुआती घंटों में बढ़त बनाती नजर आ रही बीजेपी को 16 घंटे चली मतों की गणना के बाद 74 सीटों के साथ दूसरा स्थान मिला। वहीं नीतीश की पार्टी जदयू को चिराग पासवान की लोजपा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है। लोजपा को एक सीट पर जीत मिली, लेकिन उसने कम से कम 30 सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचाया है।
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किसको मिली कितनी सीटें
बीजेपी को 74 और जदयू की 43 सीटों के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन साझीदारों में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटें मिलीं।
वहीं विपक्षी महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19, भाकपा माले को 12 और भाकपा एवं माकपा को दो-दो सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें और लोजपा एवं बसपा ने एक-एक सीट जीती है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहा है।
रोशन नहीं हुआ चिराग
एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव मैदान में उतरी चिराग पासवान की लोजपा एक सीट ही जीत पाई है और इस तरह वह सियासी परिदृश्य से बाहर हो गई है। लोजपा ने कुल 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, मगर बिहार में चिराग रोशन नहीं हो सका। ठीक इसी तरह बिहार चुनाव से पहले खुद को विज्ञापन के जरिए राज्य का अगला मुख्यमंत्री बताने वालीं पुष्पम प्रिया की दोनों सीटों पर बुरी हार हुई है। बिस्फी विधानसभा सीट और बांकीपुर सीट से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है।
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