Monday - 28 October 2024 - 5:09 PM

बिहार में परिषद चुनाव को लेकर गरमा रही सियासत

संजय वर्मा

बिहार विधान सभा के चुनाव की तैयारियों के बीच विधान परिषद चुनावों की सियासत तेज होने के आसार है। बिहार में बड़े भाई की भूमिका का दावा करने वाली जेडीयू को परिषद चुनाव में झटका मिलना तय है। अगले 27 जून को होने जा रहे विधानपरिषद के द्विवार्षिक चुनाव में जदयू की सीट हाफ हो जाएगी तो भाजपा को एक सीट का नुकसान उठाना होगा।

बिहार विधान सभा मे सबसे बड़े दल राजद के विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा 80 है। विधानसभा कोटे से एक सीट के लिये 25 विधायकों का मत जरूरी है ऐसे में राजद के लिए 3 सीट पर जीत मुश्किल नहीं। इन तीन सीटों में तेजप्रताप यादव और जगदानन्द सिंह की दो सीटें क्लियर हैं। तीसरी सीट किसी अत्यंत पिछड़ा और अल्पसंख्यक को देने के लिये पार्टी में मंथन का दौर जारी है।

सहयोगी कांग्रेस के 26 विधायक हैं सो एक सीट मिलना तय है। मतलब सत्तापक्ष की सीटों में से 4 गठबंधन के पाले में चला जायेगा कांग्रेस से किसी अल्पसंख्यक को भेजने की बात की जा रही है। जदयू के सर्वाधिक 6 सदस्य  हारून रशीद, सतीश कुमार,हीरा विन्द पी के शाही सोनेलाल मेहता और मंत्री अशोक चौधरी 7 मई को रिटायर हुए है।

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जदयू के विधायकों की संख्या 70 है उसे भाजपा के अतिरिक्त वोट के सहयोग से तीन सीट तो मिलेगी ही इन तीन सीटों पर चयन के लिये पार्टी में गहन विचार विमर्श जारी है जिन नामो की चर्चा है उसमें अशोक चौधरी का जाना तय है जबकि दो सीटों के लिये मगजमारी जारी है वैसे सूत्रों की माने तो कहकशा परवीन और पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद की दावेदारी सबसे मजबूत हैं।

वैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौकाने वाले फैसले लेते हैं। अशोक चौधरी को छोड़ दो अन्य पर बिल्कुल नए चेहरे को भी जगह मिल सकती है। जदयू की सहयोगी भाजपा के विधायकों की संख्या 54 है। इस लिहाज से उसे 2 सीट आसानी से मिल ही जाएगी।

दिल्ली में भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व के साथ सियासत में सक्रिय संजय मयूख के साथ ही कृष्ण कुमार सिंह और राधामोहन शर्मा रिटायर हो रहे हैं। राधामोहन शर्मा को छोड़ दोनों सदस्यों का दो टर्म पूरा हो चुका है। ऐसे में नही लगता कि उन्हें तीसरी बार मौका मिल पायेगा अपवाद संजय मयूख हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी मीडिया सेल के राष्ट्रीय प्रभारी का दायित्व देख रहे हैं।

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हालांकि चर्चा यह भी है कि पार्टी से नाराज चल रहे पूर्व सांसद आर के सिन्हा के सुपुत्र रितुराज सिन्हा को मौका दिया जाय कुल मिलाकर देखे तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले संभवतः 27 जून को होनेवाले विधान परिषद के चुना व में सत्ताधारी दल केकुल रिक्त 9 सीटों में से राजद कांग्रेस को 4 सीटों का फायदा होता स्पष्ट दिख रहा है।

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