प्रीति सिंह
एक कहावत है-जो दिखता है वह बिकता है। भारतीय जनता पार्टी पर यह कहावत एकदम से चरितार्थ होती है। इसीलिए तो कोई भी काल हो बीजेपी अपनी उपलब्धियों को गिनाने में पीछे नहीं रहती। बिहार में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है।
कोरोना महामारी के बीच में बिहार में चुनावी माहौल बनने लगा है। हालांकि महामारी की वजह से अभी तक यह वर्चुअल चल रहा था, लेकिन अब भाजपा दरवाजा खोल बाहर निकल आई है। वजह सभी को पता है।
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चूंकि बिहार में चुनाव का समय है इसलिए बीजेपी को लगता है कि जो किया, उसे बताना भी जरूरी है। बताना इसलिए और भी जरूरी है, क्योंकि विपक्ष का आरोप है कि सरकारों ने कुछ किया ही नहीं है।
कोरोना में भीड़ इकट्ठी नहीं कर सकते इसलिए बीजेपी ने पहले वर्चुअल का रास्ता निकाला। गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में बैठकर 72 हजार एलईडी के माध्यम से बिहार में चुनाव का शंखनाद कर दिया। अब उनके काम को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी कार्यकर्ता घरों से बाहर निकल आए हैं।
वर्तमान में राजनीति का तरीका बदल गया है। इसे बीजेपी ने ही बदला है। बीजेपी अच्छे से जानती है कि देश की जनता बहुत जल्द सबकुछ भूल जाती है। इसलिए जितना काम करना जरूरी है, उतना ही बताना भी जरूरी है। जिसने नहीं बताया उसकी लुटिया डूबने से कोई नहीं रोक सकता। इसीलिए बीजेपी ने बिहार में कमर कस लिया है।
पहले बीजेपी ने बिहार की जनता को वर्चुअल बताया और अब घर-घर जाकर मोदी सरकार के एक साल के बेहतरीन कामकाज को बता रही है। बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बता रहे हैं। बड़े नेता कार्यकर्ताओं को बता रहे हैैं कि सरकार ने क्या-क्या किया है और कार्यकर्ता घर-घर जाकर जनता को बता रहे हैं।
बीजेपी विधायक, नेता व कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र की प्रतियां लेकर लोगों के घर-घर पहुंचे और मोदी सरकार-2 की एक साल की उपलब्धियों का बखान किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री का पत्र तथा बीते एक साल में केंद्र सरकार द्वारा किए गए कामों से संबंधित पुस्तिका का वितरण भी किया।
कोरोना महामारी के बीच में बिहार में चुनाव सरगर्मी बढ़ गई है। एक ओर कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर सियासी पारा भी बढ़ रहा है। सबसे पहले बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया, फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मन बात लेकर आ गए। वो गए तो गृहमंत्री अमित शाह वर्जुअल रैली करके जनता और कार्यकर्ताओं को सरकार की उपलब्धियों को बताया साथ ही विपक्ष की कमियों को भी गिनाया।
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जब बीजेपी अपनी उपलब्धियां गिना रही हो तो जेडीयू कैसे पीछे रहती। नीतीश कुमार ने भी मोर्चा संभाल लिया और वह भी सात जून से जिलेवार संवाद में जुट गए। 12 जून तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल संवाद कायम रखा। सबको राज्य सरकार के काम की बखूबी जानकारी दी गई और विपक्ष पर हमले की भी। यह सब हो ही रहा था कि बीजेपी ने नया तरीका निकाला। 11 जून से बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सरकार की उपलब्धियां बताने का कार्यक्रम शुरू हो गया है।
बीजेपी के इस कदम से तो ऐसा ही लगता है कि पार्टी को वर्चुअल पर भरोसा नहीं है। पार्टी को लगता है कि इस माध्यम से लोग उनकी बात पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं या वो समझा नहीं पा रहे हैं। इसीलिए पार्टी ने कार्यकर्ताओं को कोरोना महामारी के बीच में घर-घर जाकर उपलब्धियां बताने के लिए लगा दिया है। इसलिए कहा जाता है कि विपक्ष की सोच जहां बंद होती हैं बीजेपी की
वहां से शुरु होती है। इसीलिए बीजेपी को विपक्ष मात देने में अब तक नाकाम साबित होता आ रहा है।
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