जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में नीतीश कुमार ने कैबिनेट सदस्यों के बीच विभाग का बंटवारा कर दिया है। सबसे ज्यादा चर्चा मेवालाल चौधरी की हो रही है। मेवालाल चौधरी को आज शिक्षा जैसा अहम मंत्रालय मिला है। उनके मंत्री बनाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, जेडीयू नेता मेवालाल चौधरी के सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार का मामला साने आया था. इस मामले में इन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी और पार्टी ने इन्हें निलंबित भी किया था। वो 2010-15 के बीच में सबौर कृषि विवि में वाइस चांसलर थे।
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इसके अलावा मेवालाल चौधरी पर जूनियर वैज्ञानिक की बहाली में धांधली और भवन निर्माण में घपला का आरोप है। निगरानी ब्यूरो ने इस मामले की जांच की थी। मेवालाल चौधरी पर स्पेशल विजिलेंस ने 2017 में केस दर्ज किया था और भागलपुर के सबौर थाने में भी 2017 में केस दर्ज हुआ था।
अभी भी जेडीयू विधायक मेवालाल चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 46,7 468, 471 और 120 बी के तहत भ्रष्टाचार के मुकदमा दर्ज है, इनके खिलाफ अभी भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में मामला लंबित है।
जेडीयू कोटे से मंत्री बनने वाले मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया है। बिहार की तारापुर विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। मेवालाल चौधरी 2015 में पहली बार विधायक बने थे जबकि इससे पहले तक वो शिक्षक रहे हैं. वो कोइरी समुदाय से आते हैं।
नीतीश कुमार की नौटंकी देखिए। तेजस्वी जी पर फ़र्ज़ी केस करवा कर इस्तीफ़ा माँग रहे थे और यहाँ खुद एक भ्रष्टाचारी मेवालाल को मंत्री बना रहे है।
कर्म की मार से बच नहीं पाओगे कुर्सी कुमार जी pic.twitter.com/vXTjWy2HTN
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) November 17, 2020
दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल ने इसे लेकर निशाना साधा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने ट्वीट करके कहा, ‘जिस भ्रष्टाचारी जेडीयू विधायक को सुशील मोदी खोज रहे थे, उसे नीतीश कुमार ने मंत्री पद से नवाजा।