जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार में विधान सभा चुनाव करीब है। नीतीश सरकार बचेगी या नहीं ये तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन इतना तय है कि नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की राह इस बार आसान नजर नहीं आ रही है। हालांकि नीतीश कुमार अपनी सत्ता बचाने का दावा जरूर कर रहे हैं लेकिन लालू के लाल तेजस्वी और अन्य विरोधी उनको सत्ता से उखाड़ फेंकने की बात कर रहे हैं। जमीनी से जुड़े नेता पप्पू यादव और एआईएमआईएम भी इस बार नीतीश सरकार को लालकारते दिख रहे हैं। जिसके बाद बिहार चुनाव इस बार और रोचक हो गया है।
कोरोना काल में राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वो जनता तक कैसे पहुंचे, क्योंकि कोरोना बिहार में और खतरनाक हो गया है। इस वजह से राजनीतिक दल डोर-टू-डोर कैंपेन से ज्यादा वर्चुअल रैली, मोबाइल और सोशल मीडिया के सहारे चुनाव प्रचार में जुट गए है।
जहां तक बीजेपी की बात की जाये तो सोशल मीडिया का चैम्पियन कहा जाये तो गलत नहीं होगा। दरअसल मोदी सरकार ने बीते कई चुनाव में सही तरीके से सोशल मीडिया इस्तेमाल किया है। हालांकि अब तस्वीर थोड़ी बदलती जरूर दिख रही है। बीजेपी के हथियार से ही अब उन्हें चुनौती दी जा रही है।
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अगर बिहार चुनाव की बात की जाये तो बीजेपी ने कोरोना को देखते हुए जनता तक पहुंचने के लिए अब नया तरीका अपनाया है।
दरअसल बिहार चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने व्हाट्सअप के एक लाख गु्रप का निर्माण किया है। इसके साथ ही हर गुप में 256 लोगों को जोड़ा है। इसका मतलब यह हुआ कि दो करोड़ लोगों तक बीजेपी केवल व्हाट्सअप के माध्यम से जनता के बीच पहुंचने की कोशिश कर रही है।
आलम तो यह है कि इन गु्रप पर बीजेपी के कार्यकर्ता सक्रिय है। इससे साफ पता लग रहा है कि बीजेपी की डिजिटल सेना एक बार फिर मजबूत लग रही है।
बिहार चुनाव को देखते हुए बीजेपी की आईटी सेल और सोशल मीडिया डिपार्टमेंट को एक बार फिर सक्रिय कर दिया है। बिहार में बीजेपी के सोशल मीडिया को देख रहे मनन कृष्णन ने हाल में कहा था कि उनकी पहली कोशिश है कि अपने कामों को लेकर जनता तक पहुंचा जाये। इसी के तहत व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया है। जिसके तहत बीजेपी की अच्छी पकड़ नजर आ रही है।
बीजेपी की इस रणनीति को ऐसे समझा जा सकता है
- बिहार में बूथों की संख्या करीब 72,000 बतायी जा रही है।
- इसके साथ ही बीजेपी ने 9700-9800 शक्ति केंद्र भी बनाया है।
- जानकारी के मुताबिक हर शक्ति केंद्र पर सात से आठ बूथ है।
- इसके लिए एक प्रभारी और सह प्रभारी को नियुक्त किया है।
- बीजेपी ने 45 संगाठात्मक जिला बनाया है
- बीजेपी पार्टी ने हर शहर में 21 लोगों की मजबूत टीम बनायी है।
- इस तरह से केवल 20 हजार से ज्यादा लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव है।
बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव ने भी खास रणनीति के तहत एक नारा बिहार में खूब चलावाया है। उस नारे में कहा गया है कि बीजेपी है तैयार-आत्मनिर्भर भारत। इसको खूब वहां प्रचार-प्रसार किया गया है।
लालू की पार्टी को भी खूब भा रहा है सोशल मीडिया
बिहार में अगर सबसे ज्यादा नीतीश को टक्कर मिल रही है तो वो लालू के लाल तेजस्वी यादव से। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगले सीएम तेजस्वी हो सकते हैं लेकिन ये कहना अभी जल्दीबाजी होगा क्योंकि चुनाव परिणाम आने के बाद
पता चल पायेगा कि तेजस्वी ने क्या सच में नीतीश को कड़ी टक्कर दी है।
डिजिटल वार में लालू की पार्टी भी कम नहीं है
डिजिटल के माध्यम से राष्ट्रीय जनता दल भी अपना प्रचार-प्रसार करने में जुटा हुआ है। नीतीश के हर नारे का तोड़ खोजने के लिए आरजेड़ी स्लोगन, नारा, पंच लाइन खोजती है और सरकार को घेरती है।
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जानकारी के मुताबिक आरजेडी की स्टेट यूथ की माने तो सोशल मीडिया पर आरजेडी की खास पकड़ बनती दिख रही है। आरजेडी का यूथ विंग बहुत जल्द 25 लाख लोगों तक पहुंचने की कोशिश में जरूर है लेकिन बीजेपी के मुकाबले ये काफी कम है। हालांकि ये केवल आरजेडी का यूथ विंग की बात है लेकिन आरजेडी की नहीं।
आरजेड़ी की नजर सोशल मीडिया पर
बताया जा रहा है कि आरजेडी की टीम कंटेट, रिसर्च, डिजाइन, टेक्निकल टीम को मजबूत करने में लगी हुई ताकि बीजेपी को उसी के लहजे में जवाब दिया जाये। खुद तेजस्वी यादव ने भी सोशल मीडिया पर एक्टिव नजर आते हैं। लॉकडाउन में ये देखने को मिल चुका है।
इसके आलावा आरजेडी तेजी से अपने फॉलोओवर को बढ़ाने में लगा हुआ है। इसके तहत हर शहर में सोशल मीडिया प्रभारी की नियुक्ति भी हो रही है।
सबसे अहम बात है कि आरजेडी ने बीजेपी की तरह पंचायत, प्रखंड, जिला और प्रदेश स्तर पर अलग-अलग वाट्सएप ग्रुप बनाया है ताकि जनता तक पहुंचा जा सके। हालांकि लालू यादव जेल में है। ऐसे में उनके बेटे तेजस्वी पर सबकी नजरे टिकी हुई है। इसके लिए नया नारा भी दिया है। इस नारे में कहा गया है कि उम्मीद की छवि तेजस्वी।
नीतीश कुमार का जोर वर्चुअल रैली पर
दूसरी ओर नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड वर्चुअल मीटिंग और रैली पर जोर लगा रही है। हालांकि वो चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ रही है, इसलिए उसका दावा किसी से कम नहीं है।
कांग्रेस भी ताल ठोंकती दिख रही है
हालांकि बिहार में कांग्रेस कितनी सीट जीतेगी ये कहना अभी जल्दीबाजी है लेकिन सोशल मीडिया पर कांग्रेस भी एक्टिव नजर आ रही है। बिहार बदलो, सरकार बदलो नारे के साथ बीजेपी को सत्ता से हटाना चाहती है। कोरोना को देखते हुए कांग्रेस, बिहार में 100 विधानसभा सीटों पर वर्चुअल सम्मेलन के माध्यम से जनता से जुड़ रही है। उसका ‘बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन’ 21 दिनों तक चलेगा। फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर पर रैली का सीधा प्रसारण होगा।
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कुल मिलाकर देखा जाये तो इस बार का बिहार चुनाव काफी रोचक हो सकता है। इसके साथ यह भी देखना होगा कि गांवों की जनता कितना सोशल मीडिया से जुड़ पाती है। कोरोना के इस दौर में वर्चुअल रैली को सफलता मिलती है या नहीं लेकिन इतना तो तय है कि इस बार का चुनाव किसी भी पार्टी के आसान नहीं होने जा रहा है।