जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार में विधान सभा चुनाव में मतदान की उलटी गिनती शुरू हो गई है। ऐसे में वहां पर सियासी पारा एकाएक बढ़ गया है। एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच लड़ाई तेज हो गई है।
नीतीश पिछले 15 साल से वहां पर सत्ता में है लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं लग रही है। बीजेपी तो साथ है लेकिन लोकजनशक्ति पार्टी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
सत्ता विरोधी लहर भी उनका काम बिगाड़ सकती है। बिहार में नीतीश को अलग-थलग करने के लिए लोकजनशक्ति पार्टी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
हालांकि चिराग अभी अपने पिता के निधन के गम में डूबे हुए है लेकिन अब भी बिहार की सत्ता पर नीतीश को बैठने नहीं देना चाहते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग के नीतीश विरोध को बीजेपी ही हवा दे रही है। हालांकि बीजेपी ने नीतीश को ही सीएम का चेहरा माना है।
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इन परिस्थितियों में ये समीकरण बन रहे हैं कि जिस नीतीश कुमार के चेहरे को बीजेपी ने अपना नेता माना है उसी नीतीश के विरोध करने वाले चिराग के गलबहिया कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है दो नाव सवार होकर सत्ता की कुर्सी की ललक में बीजेपी कही गच्चा न खा जाए।
दरअसल तारीखों से पूर्व पूर एनडीए कुनबा एक था लेकिन घोषणा के बाद चिराग की पार्टी अलग हो गई और नीतीश के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ती दिख रही है।
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भले ही बीजेपी को बिहार में नीतीश को अपना नेता बता रही है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी की इस बार महत्वाकांक्षा बढ़ गई है और वो बड़े भाई की भूमिका में नजर आना चाहती है। इस वजह से बीजेपी और जेडयू में सीटों को लेकर खिंचातान देखने को मिली है।
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अहम बात यह है कि बिहार विधान सभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी को किसी तरह की मदद नहीं देने का फैसला किया लेकिन केंद्र में उसका सबसे भरोसेमंद साथी के तौर पर लोकजनशक्ति पार्टी को देखा जा रहा है।
अब अगर विधानसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना लेती है तो बीजेपी का क्या होगा। हालांकि चिराग की पार्टी कह रही है कि चुनाव बाद बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी लेकिन इसमें फर्क केवल इतना होगा कि इस सरकार में नीतीश का कोई रोल नहीं होगा। तो ऐसे में सवाल उठता है कि सीएम कौन होगा।
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बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठï पत्रकार मनोज राय ने जुबिली पोस्ट को बताया कि बिहार में जो सियासी समीकरण बन रहे हैं। उसमें कई उलझने नजर आ रही है। चिराग को भले ही हवा दिया जा रहा हो लेकिन उनकी लोकजनशक्ति पार्टी की राजनीति हैसियत इतनी नहीं है किंग मेकर बन सके।
उनके पास केवल पांच प्रतिशत वोट बैंक है लेकिन इतना तय है कि नीतीश को जनता पहले जैसे बहुमत देने के मुड में नहीं देख रही है। बीजेपी भले ही नीतीश का साथ देने की बात कह रही है लेकिन उसको भी पता है कि बिहार में नीतीश के खिलाफ हवा चल रही है। हालांकि उसने इसका तोड़ खोजते हुए चिराग को आगे करने की कोशिश की है लेकिन जनता को अब तय करना है कि किसको सत्ता की चाबी सौंपी जाये।