जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में वोटों की गिनती चल रही है। बिहार विधान सभा चुनाव के शुरुआती रुझान में महागठबंधन के बढ़त के बाद बाजी पलटती हुई दिख रही है। इस वक्त के रुझानों के मुताबिक एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है।
अब तक जो रूझान सामने आए हैं उसमें एनडीए 131 सीटों पर आगे चल रही है जिसमें अकेले बीजेपी 69 सीटों पर आगे दिख रही है। वहीं जेडीयू 55 सीटों पर आगे है और वीआईपी 6 सीटों पर आगे है। यदि महागठबंधन की बात की जाए तो तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी सबसे अधिक 63 सीटों पर आगे चल रही है और कांग्रेस 20 सीटों पर आगे चल रही है।
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इस लिहाज से यदि सभी प्रमुख दलों पर नजर डाली जाए तो सबसे बड़ा नुकसान जेडीयू को देखने को मिल रहा है और सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिल रहा है। जेडीयू को पिछले विधान सभा चुनाव में 71 सीटें मिली थीं, लेकिन फिलहाल वह महज 55 सीटों पर आगे है।
वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी को 53 सीटें मिली थी, लेकिन इस बार वह फिलहाल 69 सीटों पर आगे चल रही है। पिछले चुनाव में आरजेडी को 80 सीटें मिली थीं और इस बार वह 63 सीटों पर आगे है। ऐसे में देखा जाए तो इस चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी पार्टी बनकर बीजेपी सामने आ रही है।
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चिराग फैक्टर
जेडीयू पर यदि नजर डाली जाए तो इस वक्त के रुझानों के अनुसार जेडीयू की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चिराग पासवान की पार्टी लोजपा बनती दिख रही है। लोजपा ने अपने सभी उम्मीदवार जेडीयू के खिलाफ उतारे थे। इस वक्त लोजपा 3 सीटों पर आगे चल रही है। इस लिहाज से जेडीयू के लिए लोजपा सबसे बड़ा वोटकटवा साबित हो रही है।
नीतीश का भविष्य दांव पर
बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान हर दौर में नीतीश ने अपने सुशासन की दुहाई दी और जनता से समर्थन मांगा लेकिन जमीनी हकीकत का शायद उन्हें अहसास चरण दर चरण और रैली दर रैली होने लगा था, तभी तो आखिरी चरण में नीतीश ने आखिरी दांव खेला।
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नीतीश कुमार ने कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव हैं और उनके इस बयान के आते ही राजनीतिक पंडितों ने इसके मायने तलाशना शुरू किया। किसी ने इसे आखिरी चरण से जोड़ा, किसी को ये संन्यास का ऐलान लगा तो किसी को इसमें सहानुभूति वाली सियासत नजर आई थी। कई बार तो ऐसा लगा कि जैसे नीतीश थक चुके हैं।