जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दोनों मुख्य गठबंधनों (एनडीए व महागठबंधन) के छोटे दल परेशान हैं। एनडीए के घटक दल एलजेपी की नाराजगी जहां मामूली बयानबाजी तक सीमित दिखाई दे रही है, वहीं महागठबंधन के साथी जीतन राम मांझी (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा अध्यक्ष) ने खुल कर विद्रोही तेवर अपना रखा है। कांग्रेस मध्यस्थता की कोशिश में है और मांझी ने अपने ‘आखिरी निर्णय’ के लिए कुछ और दिनों की मोहलत दी है। हालांकि, वह इसे महागठबंधन को ‘ट्रैक पर लाने की कोशिश’ बताते हैं।
जीतनराम मांझी के लगातार दिए जा रहे अल्टीमेटम के बाद भी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के रुख में कोई परिवर्तन नहीं होता दिख रहा है। गठबंधन में कोई तवज्जो नहीं मिलते देख वे अपने लिए नया विकल्प तलाश रहे हैं।
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इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जीतन राम मांझी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर अभी दोनों दलों के बीच में कोई बात नहीं हुई है।
इसको लेकर एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान की पहली औपचारिक मुलाकात जीतन राम मांझी से शुक्रवार को उनके आवास पर हुई। जानकारी के मुताबिक दोनों दलों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा।
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा, “जीतन राम मांझी के साथ मेरी निजी मुलाकात थी और मैं उन्हें पहले से जानता हूं। मांझी हमारे साथ किशनगंज की रैली में भी साथ आने के लिए तैयार हो गए थे मगर आखिरी वक्त पर किसी वजह से नहीं आए।”
बता दें, 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी और जीतन राम मांझी किशनगंज में एक साथ मंच साझा कर एक रैली करने वाले थे मगर आखिरी मौके पर जीतन राम मांझी ने अपने कदम वापस खींच लिए। माना जा रहा है कि महागठबंधन में तवज्जो नहीं मिलने के कारण दबाव की राजनीति के तहत जीतन राम मांझी ने असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने के लिए हामी भरी थी।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, “राजनीति में कब कौन किसके साथ गठबंधन करेगा यह कहना मुश्किल है मगर फिलहाल यह कहना जल्दबाजी है कि हमारा गठबंधन ओवैसी की पार्टी के साथ हो रहा है। ऐसी कोई बात नहीं है।”
जीतन राम मांझी के असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने की खबरों के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया था। ओवैसी की पार्टी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह बिहार में इस बार ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पहले चरण में पार्टी ने अपने 32 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर रखी है।
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सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, बिहार के अध्यक्ष अख़्तरूल ईमान बिहार में एक नया गठबंधन तैयार करने की कोशिश में हैं, जिसमें उनका पूरा ध्यान बिहार मुस्लिम वोटों के साथ-साथ दलित, पिछड़ा व अति-पिछड़ा समाज को एक साथ लाने का है। ख़बर ये है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की बातचीत भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद से भी चल रही है। मुमकिन है कि उनकी नई पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती है।