जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। निदेशक कोषागार पंकज शर्मा के एक बड़े कारनामे का खुलासा हुआ है। पंकज शर्मा ने सेवा नियमावली के विपरीत जाकर 39 नव नियुक्त वित्त अधिकारियों को शासन की अनुमति लिए बिना ही विभागों में अनियमित रूप से नियुक्ति दे दी है।
मामला संज्ञान में आते ही शासन भी हरकत में आ गया। शासन के वित्त सेवायें अनुभाग -2 में विशेष सचिव प्रकाश बिंदु के नाम से 31 मई को पंकज शर्मा, निदेशक कोषागार को पत्र जारी कर कुल पांच बिंदुओं पर तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
क्या है पूरा मामला
लोकसेवा आयोग द्वारा चयनित वित्त एवं लेख समूह-ख- के कुल 39 कोषाधिकारी/वित्त अधिकारी जो प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे,और प्रशिक्षण की समाप्ति के बाद उनको प्रशिक्षण संस्थान द्वारा ली जाने वाली परीक्षा को पास करना होगा।
इसके लिए उनको कुल तीन अवसर दिए जाएँगे यदि परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो उनको पद के योग्य नहीं मानते हुए उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी।
इसमें सबसे बड़ी बात ये थी कि इन अधिकारियों के नियुक्ति प्राधिकारी राज्यपाल होते हैं और प्रथम नियुक्ति का अधिकार शासन में निहित है इसलिए निदेशक कोषागार के पास नव नियुक्त वित्त अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार था ही नहीं।
इस तरह से बिना प्रशिक्षण पूरा किये,बिना परीक्षा को पास किए और शासन की अनुशंसा के बिना इस कोरोना की त्रासदी में स्थानांतरण पॉलिसी के बिना ही नियुक्ति किए जाने का बड़ा खेल किया गया है।
नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने की सुगबगहट
कुछ सूत्र इतनी बड़ी संख्या में की गयी नियुक्ति के पीछे बड़े पैमाने पर लेनदेन किए जाने की भी सम्भावना जाता रहे हैं। उनका कहना है कि पंकज शर्मा निदेशक कोषागार के पद से सितम्बर में सेवा निवृत्त होने वाले हैं इसलिए जल्दबाज़ी में कोरोना काल में उनके द्वारा शासन से छुपाकर नियुक्ति करना इस आशंका को और बल डेटा है।हाँलाकि लेनदेन का मामला तो जाँच के बाद ही पता चल सकता है।
किस अधिकारी की नियुक्ति कहां की गयी , देखें यहां लिस्ट
इस प्रकरण पर सरकार क्या कारवाई करती है ये देखने वाली बात होगी।