जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। बृजभूषण शरण सिंह इन दिनों ये नाम अच्छा खासा चर्चा में बना हुआ है। हालांकि भारतीय कुश्ती के साथ-साथ भारतीय राजनीति में बृजभूषण शरण सिंह कोई नया नाम नहीं है।
जब भी कोई पहलवान विदेशों में देश के लिए पदक जीतता है तो बृजभूषण शरण सिंह इसका पूरा क्रेडिट लेने से भी नहीं चूकते हैं। गोंडा जिले की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के तौर पर उनकी पहुंच का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनपर हाथ डालने से पहले यूपी पुलिस भी सौ बार सोचती है।
उनको लेकर मीडिया रिपोट्र्स बताती है कि दशकों से बृजभूषण शरण सिंह ने विरोधियों को धमकाने और बाहुबली के लिए कुख्यात क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए आस्था, अपराध और राजनीतिक रसूख के मिश्रण का इस्तेमाल किया है लेकिन पहली बार उनकी कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। जिस कुश्ती संघ के बल पर वो अपना दबदबा बनाये हुए अब वहीं खेल उनके लिए गले की हड्डी बन गया है।
दरअसल भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण पर भारत के शीर्ष पहलवानों ने यौन उत्पीडऩ और डराने-धमकाने के आरोप जब से लगाया तब से उनकी कुर्सी खतरे में आ गई है।
सरकार अभी तक इस मामले में भले ही कुछ ठोस कदम नहीं उठा रही हो लेकिन उसपर अब दबाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि पहलवानों को जनता के समर्थन ने बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें जरूर बढ़ा दी है।
बृजभूषण शरण सिंह के राजनीति सफर पर गौर करें तो ये कुश्ती की तरह मिनटों में बदलता रहा है। पहले सपा उनका राजनीतिक घर हुआ करता था लेकिन अब वो बीजेपी में रहकर सियासी अखाड़े जीत का दावा जरूर कर रहे हैं। अभी हाल में स्क्रॉल.इन को दिए एक इंटरव्यू में, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन किया था और कहा था मरवा दिया।
कुश्ती में कमाया नाम
8 जनवरी, 1957 को जन्मे बृजभूषण शरण सिंह का अगर पहला प्यार कुश्ती कहा जाये तो गलत नहीं होगा। स्थानीय स्तर पर कुश्ती में उन्होंने खूब नाम कमाया। इसके बाद छात्रजीवन में उन्होंने राजनीति की डगर पर चलना शुरू कर दिया। उनकी राजनीति सफर को तब और बल मिला जब अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन हुआ और एक बेहतर नेता के तौर पर उन्होंने अपना नाम कमाया।
बीजेपी ने दिया टिकट
1991 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने पहली बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। इतना ही नहीं 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस बृजभूषण के लिए वरदान साबित हुआ। हालांकि 2020 में उन्हें बरी कर दिया गया।
एक फायरब्रांड हिंदू नेता के तौर बनायी छवि
एक फायरब्रांड हिंदू नेता के तौर पर बृजभूषण शरण सिंह की छवि पूरी तरह से बन गई लेकिन इस 1992 में उन पर टाडा के तहत डॉन दाउद इब्राहिम के गुर्गों की मदद करने के आरोप लगा और मामला दर्ज किया गया और जेल में रहना पड़ा। इसके बाद साल 2009 में सपा का दामन था लिया। इसके बाद मोदी लहर को देखते हुए 2014 फिर से सपा छोड़ दी और बीजेपी शामिल हो गए।
अखाड़े की दुनिया में उनके नाम की दहशत
कुश्ती ने बृजभूषण सिंह की सियासत को और मजबूत करने का काम किया। गोंडा के नंदिनी नगर में होने वाले कुश्ती के तमाम आयोजनों में सिंह ही केंद्र होते थे। इतना ही नहीं जिस जगह उनका काफिला जाता है उनके पैर छूने की होड़ मच जाती है।
उनकी दहशत का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि बृजभूषण के एक इशारे पर अखाड़े में चल रही कुश्ती रुक जाया करती थी। द प्रिंट में छपि रिपोर्ट की माने तो लगभग डेढ़ दशक तक बिना किसी विरोध के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में चुने गए साथ ही अपने परिवार के माध्यम से अन्य संघों को भी नियंत्रित किया है। बिहार कुश्ती महासंघ का नेतृत्व उनके दामाद करते हैं, जबकि उनका बेटा उत्तर प्रदेश महासंघ को नियंत्रित करता है।