- मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की मुश्किलें बढ़ी
- 13 खेप में देश में लाया गया 300 किलो सोना
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच केरल में हुए सोना घोटाले ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस मामले में हर दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। विपक्ष मुख्यमंत्री कार्यालय की जांच की मांग करने के साथ उनसे पूछताछ की मांग कर रहा है।
पांच जुलाई को केरल की राजनीति में भूचाल आ गया जब सोने की तस्करी के एक मामले का खुलासा हुआ। जब से इस घोटाला सामने आया है केरल की राजनीति में उथल-पुथल मचा हुआ है। पड़ताल शुरु हुई तो इस घोटाले के तार राज्य के बड़े नेताओं से लेकर सरकारी अफसरों तक पहुंचने लगे। नेताओं और अधिकारियों का नाम आने से विपक्ष हमलावर हो गया। मामला तूल पकड़ता जा रहा है तो साथ में मुख्यमंत्री की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं।
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अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात के राजनयिक मिशन के कुछ कर्मचारियों की मदद से जुलाई 2019 से देश में कम से कम 300 किलोग्राम सोने की तस्करी हुई है। सूत्रों के मुताबिक देश में 13 खेप में सोना पहुंचाया गया। सूत्रों ने यह भी बताया कि कम से कम 13 खेप में एक साल में 300 किलोग्राम सोने की तस्करी हुई है। सारी खेप बिना जांच के पास हो गई। उनमें से कुछ खेप का वजन 70 किलोग्राम था।
मालूम हो कि तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे से 30 किलोग्राम सोना 5 जुलाई को जब्त किया गया था। वहीं, इस संबंध में एनआईए ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि सीमा शुल्क ने सोने की तस्करी के मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है।
रविवार के एक अधिकारी ने कहा कि हम राज्य सरकार के विभागों द्वारा आयोजित कुछ कार्यक्रमों की भी जांच कर रहे हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि जिन लोगों के नाम आरोपियों से पूछताछ के दौरान सामने आया है, उन्हें तलब किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री कार्यालय की जांच की मांग
सोना तस्करी को लेकर विपक्ष के निशाने पर मुख्यमंत्री हैं। विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहा है। वहीं रविवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि सोने की तस्करी के सनसनीखेज मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका की जांच होनी चाहिए। पिनराई विजयन से पूछताछ होनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि तस्करी के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका की जांच करने का समय आ गया है और अब मुख्यमंत्री से भी पूछताछ की जानी चाहिए। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्य आरोपी के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्च अधिकारियों के शामिल होने की खबरें सामने आने के बाद कार्यालय की अक्षमता और यहां फैला भ्रष्टाचार उजागर हो गया है।
क्या है मामला
तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पांच जुलाई को कस्टम विभाग के अधिकारियों ने पहले से प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर यूएई से आया एक डिप्लोमेटिक सामान पकड़ा। विदेश मंत्रालय से अनुमति लेने के बाद यूएई वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की मौजूदगी में जब उसे खोला गया तो उसमें घरेलू इस्तेमाल की कई चीजों में भरा हुआ 30 किलो सोना मिला। इसका मूल्य लगभग 15 करोड़ रुपए बताया जा रहा है।
मामले में ट्विस्ट तब आया जब अपने आप को वाणिज्य दूतावास का कर्मचारी बताकर उस सामान को लेने आए व्यक्ति सरित कुमार को कस्टम विभाग ने पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया। पूछताछ में सरित ने बताया कि वो लगभग एक साल पहले तक वाणिज्य दूतावास में बतौर जन संपर्क अधिकारी काम करते थे, लेकिन अब वो दूतावास के कर्मचारी नहीं हैं। वो दुबई में भी काम कर चुके हैं।
सरित लगभग एक साल से हवाई अड्डे से इस तरह का सामान ले जा रहे थे। सरित ने बाद में विभाग को बताया कि उनकी एक सहयोगी केरल सरकार के आईटी विभाग की एक कर्मचारी है जिसका नाम स्वप्ना सुरेश है। सुरेश से पूछताछ करने के लिए जब विभाग हरकत में आया तो पता चला कि वो सामान खोले जाने के एक दिन पहले से लापता हैं।
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